शहरनामा : संगोष्ठी खत्म लेकिन जनसंख्या पर विमर्श जारी Bareilly News
केंद्रीय मंत्री एवं बरेली से सांसद संतोष गंगवार से जब सवाल किया गया कि वह जनसंख्या को लेकर क्या कहते हैं। उन्होंने जवाब दिया कि जो निर्देश मिला है...
वसीम अख्तर, बरेली : 19 जनवरी को रुहेलखंड विवि में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से आयोजित संगोष्ठी के मंच से जनसंख्या पर भी चर्चा की गई थी। संबोधन खत्म होने के बाद जब लोग वहां से जाने लगे तब भी इस पर आपस में बातचीत होती दिखी। इसी बीच कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल रहे केंद्रीय मंत्री एवं बरेली से सांसद संतोष गंगवार से जब सवाल किया गया कि वह जनसंख्या को लेकर क्या कहते हैं। उन्होंने जवाब दिया कि जो निर्देश मिला है, उसके अनुसार सरकार में बैठकर बात करेंगे। यहां बता दें कि जनसंख्या संगोष्ठी के दौरान यह भी कहा गया था कि सभी से इस विषय पर राय मशवरा किया जाए। मन टटोला जाए कि आमजन इस पर क्या चाहते हैं। इसके बाद जो तय हो, उसी के अनुसार सरकार अपनी नीति बनाए। संगोष्ठी खत्म हो गई मगर मुद्दे पर चर्चा अभी जारी है कि विचार हो सकता है।
चेयरमैन उपस्थित.. नो सर
ज्यादातर की ख्वाहिश थी कि संघ प्रमुख के कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी की चर्चा बाहर भी हो। ऐसे लोग मीडिया वालों से कहते सुने गए, भाई हम भी हैं। इनसे इतर एक शख्स ऐसे भी थे, जो वहां रहकर भी कहने लगे, हम नहीं गए। बात सेथल के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष की है। उन्हें लोग चेयरमैन साहब कहकर मुखातिब करते हैं। वह मंच के सामने पड़ी दसवीं लाइन की कुर्सी पर विराजमान थे। उनसे आगे बैठे लोगों ने उन्हें पहचाना भी और बताया भी। ‘जागरण’ ने जब उनसे फोन पर बात की तो कहने लगे मैं बाहर था, इसलिए नहीं जा पाया। उनका यह जवाब सुनकर हैरानी हुई। वजह जानने की कोशिश की तो साफ हुआ जिस कस्बे से चुनाव लड़ते हैं, वहां मौजूदा माहौल के चलते कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी मुश्किल का सबब बन सकती थी। दोनों हाथों में लड्डू रखने की मंशा से इन्कार कर रहे हैं।
टोपी फिट, चर्चा हिट
वह दूसरे दलों का हिस्सा बने यह अलग बात है लेकिन उनका ज्यादा वक्त भाजपा में बीता है। एक कमल छोड़कर हाथी पर चढ़े, पर विधायक नहीं बन सके। दूसरे ने हाथी से उतरकर कमल थामा तो विधायक हो गए। विधायक नहीं बन सके, व्यापारी नेता राजेंद्र गुप्ता हैं। आजकल भाजपा के गलियारों में देखे जा रहे हैं। जो विधायक बने वह केसर सिंह हैं। नवाबगंज उनका क्षेत्र है। दोनों ही संघ प्रमुख के कार्यक्रम में मौजूद थे। देखने वालों का फोकस उनकी मौजूदगी से ज्यादा उनकी टोपी पर था। दोनों ही संघ की काली टोपी लगाए थे और वह उन पर खूब फब भी रही थी। थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ही हाथ को सिर तक ले जाकर टोपी संभाल रहे थे। उनकी इस अदा पर खूब चर्चे हुए। कार्यक्रम शुरू होने से पहले और बाद तक। किसी ने कहा कि टोपी फिट है तो कोई बोला, भाई हिट है।
स्टेटस सिंबल बना कार्ड
संघ प्रमुख का कार्यक्रम हर एतबार से जुदा था। पहली मर्तबा किसी कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में बार कोड अंकित किया गया। चुनिंदा लोग बुलाए गए। जाने कितनों की उन्हें साक्षात सुनने की चाहत बड़ी कोशिशों के बाद भी पूरी नहीं हो सकी। जिन्हें आयोजन के कार्ड मिले थे, उनमें कुछ ने तो इसे सहेज लिया। बतौर स्टेटस सिंबल। बहुत से ऐसे थे, जो कार्यक्रम से नई दिशा लेकर लौटे। संघ प्रमुख के 90 मिनट के संबोधन में एक-एक शब्द के मायने थे। बहुत कुछ स्पष्ट तो कुछ संकेतों में। सुनने वाले उन्हें दम साधे आत्मसात कर रहे थे। तालियां, न जरा भी शोरशराबा। हां, बीच में थोड़े ठहाके जरूर लगे। विरोधी इंतजार में थे कि कुछ न कुछ विवादित कह जाएंगे, तीखा जवाब तक सोचे बैठे थे लेकिन मंशा पूरी न हो सकी। उल्टे मोहन भागवत मुरादाबाद में खड़ा हुआ जनसंख्या का विवाद भी बरेली आकर खत्म कर गए।