बरेली में एक स्कूल ऐसा जिसकी मान्यता आठवी तक पर पढ़ाई 12वीं तक हो रही, अब होगी कार्रवाई
Bareilly Education News शिक्षा विभाग की साठगांठ से भुता में आठवीं कक्षा तक की मान्यता लेकर 12वीं कक्षा तक का स्कूल चलाने का मामला सामने आया है। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) तक मामले की शिकायत पहुंचने पर जांच शुरू हुई थी।
बरेली, जेएनएन। Bareilly Education News : शिक्षा विभाग की साठगांठ से भुता में आठवीं कक्षा तक की मान्यता लेकर 12वीं कक्षा तक का स्कूल चलाने का मामला सामने आया है। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) तक मामले की शिकायत पहुंचने पर जांच शुरू हुई थी। अब मामले में संबंधित अधिकारी की रिपोर्ट जमा होने के बाद भुता के खजुरिया स्थित आरआर इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। दरअसल, 22 अक्टूबर को एक शिकायत कर्ता ने आरआर स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की शिकायत जिला विद्यालय निरीक्षक से की थी। शिकायतकर्ता के अनुसार विद्यालय आठवीं तक की कथित मान्यता है और पढ़ाई के लिए 12वीं तक के छात्र-छात्राएं आ रहे हैं।
यही नहीं 10वीं और 12 वीं के छात्रों की पढ़ाई के अलावा बोर्ड परीक्षा में पास कराने के नाम छात्रों से मनमाना शुल्क भी वसूली हो रही है। संचालक ने स्कूल गेट पर आठवीं से 12वीं तक के छात्रों को प्रवेश का बोर्ड भी लगाया हुआ है। जिला विद्यालय निरीक्षक डा. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल में अनियमितता की जांच करा ली गई है। स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध मिले साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्कूल संचालक विरेंद्र कुमार का कहना है कि उनके ऊपर लगाए जा रहे सारे आरोप निराधार हैं। वह सिर्फ 12वीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं।
बाल चौपाल में शामिल हुईं जीआरएम की छात्राएं : मिशन शिक्षण संवाद व अपर शिक्षा निदेशक के निर्देशन में ई-बाल चौपाल हुई। जीआरएम के प्रधानाचार्य आरएस रावत ने बताया कि यह चौपाल हर माह की प्रथम और तृतीय शनिवार को मिशन शिक्षण संवाद के फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर किया जाता है। जिसमें कक्षा एक से बारहवीं तक के बच्चे आपस में विचार साझा करते हैं। इस क्रम में शनिवार के विषय आधुनिक जीवन में प्रौद्योगिकी का महत्व, बालिका शिक्षा, राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता रहा। इसमें गुलाब राय मांटेसरी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा दसवीं की छात्रा प्रज्ञा शंखधार ने बालिका शिक्षा पर अपने विचार प्रस्तुत किए। चौपाल में शामिल लोगों ने उनके विचारों को सराहा।