सारज के साथियाें ने मां काे सुनाई बलिदानी की वीरगाथा, बोले- ग्रेनेड से किया था हमला, गोलियों से छलनी कर दिया सीना
Saheed Saraj Singh Veer Gatha अपने अदम्य साहस और बलिदान के लिए सारज सिंह हमेशा याद किए जाएंगे। उनका नाम अमर हो गया। गुरुवार को उनकी पार्थिव देह लेकर पहुंचे रेजीमेंट के साथी सैनिकों ने अंत्येष्टि के बाद स्वजन से मुलाकात की।
बरेली, जेएनएन। Saheed Saraj Singh Veer Gatha : अपने अदम्य साहस और बलिदान के लिए सारज सिंह हमेशा याद किए जाएंगे। उनका नाम अमर हो गया। गुरुवार को उनकी पार्थिव देह लेकर पहुंचे रेजीमेंट के साथी सैनिकों ने अंत्येष्टि के बाद स्वजन से मुलाकात की। मां परमजीत कौर को उनके बेटे के बलिदान की गाथा सुनाई। बताया कि 11 अक्टूबर की सुबह क्या हुआ था। किस तरह उनके बेटे देश के दुश्मनों के मोर्चा ले रहे थे। वह पीठ दिखाकर नहीं भागे क्योंकि इसी दिन के लिए तो वह सेना में भर्ती हुए थे। लेकिन वहां के हालात बेहद खराब थे। जिसका आतंकियों ने फायदा उठाया। सारज व उनके चार अन्य साथी बलिदान हो गए। आंखों में आंसू लिए बलिदानी की मां परमजीत सब सुनती रहीं।
पहले फेंका ग्रेनेड, फिर अंधाधुंध फायरिंग
सैनिकों ने बताया कि आतंकी लगातार घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। हमले की भी कोशिशें भी कर रहे हैं। इसलिए अतिरिक्त सर्तकता बरती जा रही है। उन्होंने बताया कि रात में दस-दस सैनिकों की टीम बनाकर उन्हें अलग-अलग प्वाइंट पर भेजा गया था। प्वाइंट पर पहुंचने के बाद टीम पांच-पांच सैनिकों में बंटकर गश्त करने लगीं। बारिश के बीच पूरी रात गश्त होती रही। सुबह करीब साढ़े पांच बजे बारिश ज्यादा तेज हो गई। बर्फ भी गिरने लगी। ऐसे में सारज व उनके चार अन्य साथी केएनओपी लगाकर उसमें बैठ गए।
जबकि पांच सैनिकों की दूसरी टुकड़ी वहां से पांच सौ मीटर की दूरी पर थी। इसी बीच पहाड़ पर ऊंचाई से आतंकियों ने केएनओपी पर ग्रेनेड फेंका, जिसके फटने से वहां बैठे पांचों लोग घायल होकर एक दूसरे से दूर जा गिरे। जब तक संभल पाते आतंकियों ने ऊपर से फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद भी सारज व उनके साथियों ने हिम्मत नहीं छोड़ी। सभी ने मोर्चा संभाल लिया। फायरिंग की, लेकिन बारिश व बर्फ के कारण ऊंचाई पर बैठे आतंकियों काे देख पाना संभव नहीं हो रहा था। जिस कारण पूरी तरह से मोर्चा नहीं ले पा रहे थे। जब तक दूसरी टीम बैकअप में पहुंचती। जेसीओ व चारों जवान बलिदान हो गए।
जो कुछ हुआ रहेगा अफसोस
सैनिकों ने बताया कि लगातार सर्च आपरेशन चल रहा है। आतंकी मौत के घाट उतारे जा रहे हैं, लेकिन उस दिन जो कुछ हुआ उसका अफसोस है। क्योंकि बारिश, बर्फ और ऊंचाई उन लोगों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। अन्यथा वे लोग आतंकियों को मार गिराते।
फायरिंग के बीच लेकर आए पार्थिव देह
ग्रेनेड के हमले में सारज व साथियों के शरीर पर कई घाव हो गए थे। सैनिकों ने बताया कि उसके बाद हुई फायरिंग में उनका सीना छलनी हो गया। इस बीच दूसरी टुकड़ी व अन्य सैनिक भी वहां पर पहुंच गए। फायरिंग का जवाब देते हुए सारज तथा अन्य बलिदानियों की पार्थिव देह घटनास्थल से उठाकर लाए।
हंसमुख सारज मदद में रहते थे आगे
परमजीत कौर को सैनिकों ने बताया कि सारज को वे लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। उनकी तमाम यादें उन लोगों के साथ हैं। वह ऐसे व्यक्ति थे जो हर किसी का ध्यान रखते थे। सभी को हंसाते रहते थे। मुश्किल हालात में कभी पीछे नहीं हटते। अगर कोई साथी थक जाता तो उसकी रायफल व सामान भी उठा लेते। कहते मैं संभाल लूंगा। दोनों रायफल हाथ में पकड़कर कहते अगर दुश्मन सामने आ गया तो दोनों हाथ से गोलियां चलाऊंगा। ऐसे व्यक्ति को वे लोग नहीं भूल सकते।