Rice Cultivation in Rohilkhand News : बरेली में मानसून मेहरबान हुआ तो चावलों की सुगंध से महकेगी रुहेलखंड की माटी

Rice Cultivation in Rohilkhand News सुगंधित चावल हमेशा से लोगों की पहली पसंद रहा है। वर्तमान खरीफ सीजन में यदि मानसून मेहरबान रहा तो रूहेलखंड की माटी भी चावलों की सुगंध से महकेगी। कृषि विभाग किसानों को अनुदान पर सुगंधित धान के बीज उपलब्ध करा रहा है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 09:40 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 09:40 AM (IST)
Rice Cultivation in Rohilkhand News : बरेली में मानसून मेहरबान हुआ तो चावलों की सुगंध से महकेगी रुहेलखंड की माटी
Rice Cultivation in Rohilkhand News : बरेली में मानसून मेहरबान हुआ तो चावलों की सुगंध से महकेगी रुहेलखंड की माटी

बरेली, अंकित शुक्ला। Rice Cultivation in Rohilkhand News : सुगंधित चावल हमेशा से लोगों की पहली पसंद रहा है। वर्तमान खरीफ सीजन में यदि मानसून मेहरबान रहा तो रूहेलखंड की माटी भी चावलों की सुगंध से महकेगी। कृषि विभाग किसानों को अनुदान पर सुगंधित धान के बीज उपलब्ध करा रहा है। किसानों के लिए भी सुगंधित धान की खेती मुनाफे का सौदा साबित होगी। इसकी उपज भले ही कम हो, लेकिन बाजार में आम चावलों की तुलना में यह महंगा बिकता है। इससे किसानों को बेहतर आय हो जाती है। हालांकि सुगंधित धान की खेती के लिए किसानों को थोड़े अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं।

इस बार जिले में सुगंधित धान की दो प्रजातियों पूसा बासमती 1509 व पूसा बासमती 1637 के बीज किसानों को दिए जा रहे हैं। पूसा 1509 की बात करें तो जिले के राजकीय कृषि बीज भंडारों पर इसका 225 क्विंटल बीज उपलब्ध है। इससे करीब 1875 एकड़ खेतों में फसल लहलहाएगी। जबकि पूसा 1637 का 70 क्विंटल बीज उपलब्ध है, जो 583 एकड़ खेतों के लिए पर्याप्त है। इस तरह देखा जाए तो करीब ढाई हजार एकड़ में सुगंधित धान की फसल लहलहाएगी।

इन बातों का रखें ध्यान

सुगंधित धान की खेती में किसानों को कुछ अतिरिक्त सावधानियां बरतनी चाहिए। अमूमन यह लेट वैरायटी होती है, जो आम प्रजाति के धान की तुलना में देर से तैयार होती है। इसलिए इसमें पर्याप्त सिंचाई की जरूरत पड़ती है। इसके लिए जरूरी है कि मानसून मेहरबान रहे। अन्यथा परेशानी हो सकती है। इसलिए किसानों को वहीं इसकी खेती करनी चाहिए, जहां सिंचाई के पर्याप्त साधन हों। नहरें या ट्यूबवेल हों तो ज्यादा बेहतर है, अन्यथा पंपिंगसेट के सहारे इसकी सिचांई में काफी ईंधन खर्च होता है।

कीट प्रबंधन भी जरूरी

जिस समय इसकी बालि निकलती हैं, सुगंध से खेत महक उठते हैं। कीट-पतंगे दूर से ही खिंचे चले आते हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे पैदावार प्रभावित होती है। इससे बचने के लिए समय रहते पर्याप्त एवं प्रभावी कीट नियंत्रण की आवश्यकता होती है। समय-समय पर खेतों का निरीक्षण करते रहें। जैसे ही बालें दिखें, तुरंत ही विशेषज्ञों की सलाह से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक होता है।

जनपद में इस बार पूसा बासमती सुगंधित धान की दो वैरायटी राजकीय बीज भंडार में उपलब्ध है। जिनमें अनुदान की भी व्यवस्था है। जोकि किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जा रहा है। - धीरेंद्र सिंह चौधरी, जिला कृषि अधिकारी

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