बरेली के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए जनप्रतिनिधि कर रहे सिफारिश, लिख रहे पत्र, जानिए वजह
Basic School Admission निजी स्कूलों छोड़ अब अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए परिषदीय स्कूलों का रुख कर रहे हैं। कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने की वजह से सीट भी कम पड़ गई हैं। ऐसे में छात्रों को जमीन पर ही बैठना पड़ रहा है।
बरेली, जेएनएन। Basic School Admission: निजी स्कूलों छोड़ अब अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए परिषदीय स्कूलों का रुख कर रहे हैं। कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने की वजह से सीट भी कम पड़ गई हैं। ऐसे में छात्रों को जमीन पर ही बैठना पड़ रहा है। हैरत की बात तो यह है कि इससे भी अभिभावकों को कोई परहेज नहीं है। यह स्थिति क्यारा ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय जोगीठेर, उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर और प्राथमिक विद्यालय एना के साथ ही जिले के तमाम स्कूलों में है।
कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में आर्थिक रुप से कमजोर होने के बाद अभिभावकों ने बच्चों का नाम निजी स्कूल से कटवाकर बेसिक स्कूल में दर्ज कराने का निर्णय लिया। जिले में 2,504 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 60 फीसदी से अधिक स्कूलों में बच्चों की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। प्रधानाध्यापकों को स्कूल में फर्नीचर के लिए विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। वहीं कुछ जगह खुद से ही प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक मिलकर बेंचो के लिए रकम जुटाकर व्यवस्था कर रहे हैं। ऐसे में बच्चे आए दिन शिक्षकों से सीट की व्यवस्था कराने के लिए कहते हुए मिलते हैं।
दाखिले की अंतिम तिथि के बाद भी अभिभावकों की गुजारिश
परिषदीय विद्यालयों में दाखिले की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। मगर, इस तिथि से पहले ही स्कूलों में छात्रों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा दोगुगी हो गईं। जन प्रतिनिधियों से पत्र लिखवाकर अभिभावक बच्चों के दाखिले को स्कूल पहुंचे। भले ही दाखिले की अंतिम तिथि निकल गई हो लेकिन, अभिभावक अभी स्कूलों में पहुंच रहे हैं।
विद्यालय पिछले वर्ष छात्रों की संख्या इस वर्ष छात्रों की संख्या
कंपोजिट विद्यालय जसौली 616 1800
कंपोजिट विद्यालय जोगीठेर 397 725
उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर 171 358
उच्च प्राथमिक विद्यालय एना 79 174
प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर 237 389
परिषदीय स्कूलों के सुंदरीकरण के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा रहा है। बेसिक स्कूलों में छात्रों की संख्या के बढ़ने का कारण यह है। जिन स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए सीट की व्यवस्था नहीं है वहां जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा। विनय कुमार, बीएसए