UP Police : बंद कमरे में नोट देने के बाद किसानों से मनमाफिक बयान लेना चाहती है पुलिस...जानिए क्यों Bareilly News
लूट के बाद पुलिस के खौफ के शिकार हुए पीड़ितों में से एक का खाना पानी छूट गया। वह बीमार हो गया और लूट से अधिक रकम इलाज में लग गई।
जेएनएन, बरेली : लूट के बाद पुलिस के खौफ के शिकार हुए पीड़ितों में से एक का खाना पानी छूट गया। वह बीमार हो गया और लूट से अधिक रकम इलाज में लग गई। पीड़ित किसानों के परिजन उनकी हालत देख कह रहे हैं कि समझ नहीं आ रहा न्याय मांगे या चुप रहें।
किसानों ने Police को दी थी लूट की जानकारी
नरियावल मंडी से धान बेचकर आ रहे फतेहगंज पूर्वी के सिमरा हरिचरण निवासी आशू, पातीराम और सर्वेश के साथ फरीदपुर के फ्यूचर कॉलेज के पास साधु वेश में आए बदमाशों ने शनिवार लूट की थी। बदमाश बरेली की ओर कार लेकर भाग गए थे। सूचना पर पुलिस सक्रिय तो हुई लेकिन बदमाशों को पकड़ने के लिए नहीं बल्कि लूट को मारपीट साबित करने के लिए। किसानों से घंटों पूछताछ हुई, मंडी ले जाकर यह भी पता किया गया कि उन्हें कितने रुपये मिले थे।
बंद कमरे में Police ने पीडितो को दिए थे रुपए
इतने सबसे ही पुलिस को तसल्ली नहीं हुई तो फरीदपुर थाने के एसएसआई रवि करण ने तीनों किसानों को एक कमरे में बंद कर काफी देर बातचीत की। उन्हें लूटी गई रकम का आधा पैसा अपनी जेब से देकर लूट भूलकर बाहर मारपीट की बात कहने का दवाब भी बनाया गया। लेकिन किसानों ने बाहर आकर उनके साथ जो कुछ हुआ सब बता दिया।
अब मन मुताबिक बयान लेना चाहती है Police
पुलिस ने जब खुद को फंसता देखा तो किसानों के तहरीर दिए बिना ही लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया। किसानों का आरोप है कि पुलिस ने उनसे अपने मन मुताबिक बयान लेना चाहती है। सर्वेश के पिता ने बताया कि घटना के बाद से वह डरा हुआ है। उसने खाना पीना सब छोड़ दिया जिसके चलते वह बीमार हो गया है।
इलाज में खर्च हो गई Police की दी आधी धनराशि
पुलिस ने जो चार हजार रुपये दिए वह भी इलाज में खर्च हो गए। कुछ ऐसी ही हालत आशु और पातीराम की भी है। उन्होंने बताया कि समझ नहीं आ रहा कि न्याय की मांग करें या चुप रहें। डर है कि पुलिस कहीं बुराई मान कर फंसा न दे। बताया कि हम लोग मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं। ऐसे में यदि कोई अनहोनी होती है तो पुलिस ही जिम्मेदार होगी।