गन्ने की फसल में बढ़ रहा पोक्का बोईंग रोग
बारिश होते ही जिले में गन्ने की फसल में पोक्का बोईंग रोग का प्रकोप दिखने लगा है। फफूंदजनित यह रोग गन्ने की चोटी को प्रभावित करता है। इससे पौधे की बढ़वार प्रभावित होती है। बारिश के बाद नमी के वातावरण में यह रोग तेजी से फैलता है।
जागरण संवाददाता, बरेली: बारिश होते ही जिले में गन्ने की फसल में पोक्का बोईंग रोग का प्रकोप दिखने लगा है। फफूंदजनित यह रोग गन्ने की चोटी को प्रभावित करता है। इससे पौधे की बढ़वार प्रभावित होती है। बारिश के बाद नमी के वातावरण में यह रोग तेजी से फैलता है। इससे फसल की उत्पादकता प्रभावित होती है। गन्ने की सीओ 0238 प्रजाति पर इसका प्रकोप अधिक है। जिले के 1.8 लाख किसान 1,10,874 हेक्टेयर में गन्ने की फसल करते हैं।
जनपद में गन्ने की फसल पर पोक्का बोईंग रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। इस रोग से ग्रसित फसल में तीन तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। शुरू में प्रभावित पौधे की नई पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। फिर प्रभावित पौधे की पत्तियां घूमकर रस्सी दिखाई देती हैं। पत्तियां छोटी रह जाती हैं। प्रकोप के अधिक बढ़ने पर शीर्ष भाग में पीलापन, लालपन और चाकू जैसा कट दिखाई देता है। इसके रोगाणु हवा के द्वारा फसल में तेजी से फैलते हैं। 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और वातावरण में 70 से 80 प्रतिशत नमी इस रोग के लिए अधिक अनुकूल होती है। समय पर उपचार नहीं किया गया तो फसल की उत्पादकता पर बेहद विपरीत असर पड़ता है।
ऐसे करें नियंत्रण
जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए कापर आक्सीक्लोराइड की एक किलोग्राम मात्रा को 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इसके अलावा टेबूकोनाजाल की 250 मिलीलीटर मात्रा को 300 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना फायदेमंद रहता है। कार्बेंडाजिम एवं मैंकोजेब की एक किलोग्राम मात्रा को 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना लाभकारी है।