बरेली में निजी अस्पतालों की मुनाफाखोरी के शिकार हो रहे लोग, शिकायत के बाद भी नहीं होती कार्रवाई

कोरोना काल में मरीजों व तीमारदारों से अवैध रूप से वसूली पर शासन ने कड़ा रुख अपना रखा है। अस्पताल के बेड से लेकर हर चिकित्सा सुविधा के दाम तय किए हुए हैं। बावजूद इसके निजी अस्पताल मनमानी रकम वसूल रहे। अगर तीमारदार गरम पड़ गए तो रकम लौटा दी।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 03:53 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 03:53 PM (IST)
बरेली में निजी अस्पतालों की मुनाफाखोरी के शिकार हो रहे लोग, शिकायत के बाद भी नहीं होती कार्रवाई
तीमारदार पड़े गरम तो अस्पताल को लौटानी पड़ी रकम, मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायतों का नहीं किया निस्तारण, कई मामले लंबित।

बरेली, जेएनएन। कोरोना काल में मरीजों व तीमारदारों से अवैध रूप से वसूली पर शासन ने कड़ा रुख अपना रखा है। अस्पताल के बेड से लेकर हर चिकित्सा सुविधा के दाम तय किए हुए हैं। बावजूद इसके शहर में तमाम निजी अस्पताल मनमानी रकम वसूल रहे हैं। अगर कही तीमारदार गरम पड़ गए तो अस्पताल खुद ही समझौता कर उन्हें रकम लौटा रहे हैं। ऐसे कई मामले होने के बावजूद सरकारी अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री पोर्टल तक की तमाम शिकायतों का निस्तारण स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पा रहा है। ऐसे में लोग अस्पतालों वालों की मुनाफाखोरी के शिकार हो रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं शिकायतों का आंकड़ा : मुख्यमंत्री पोर्टल समेत सीधे आने वाली स्वास्थ्य विभाग से संबंधित शिकायतों का पूरा आंकड़ा अधिकारियों के पास नहीं है। अप्रैल से लेकर अब तक कितनी शिकायतें विभाग के पास आई और उनमें कितनी शिकायतों का निस्तारण करा दिया गया, इसकी जानकारी अधिकारी देने में असमर्थ हैं। इतना ही नहीं सीधे तौर पर सीएमओ या जिला सर्विलांस अधिकारी के पास आने वाली शिकायतों के निस्तारण के संबंध में भी कोई बताने को तैयार नहीं। संबंधित पटल के बाबू के पास भी इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

केस एक : सनसिटी निवासी बुजुर्ग मुकेश अग्रवाल को परिवार वालों ने सिटी स्टेशन के पास स्थित विनायक अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां तीन दिन भर्ती रखने के बाद उन्हें दूसरे अस्पताल जाने को कहा दिया गया। तीन दिन जनरल वार्ड में रखने का 96 हजार से अधिक का चार्ज उन पर लगा दिया। दूसरे अस्पताल में बुजुर्ग की मौत हो गई। मामले की शिकायत सीएमओ तक पहुंची तो उन्होंने दो सदस्यीय कमेटी को जांच सौंप दी। इससे पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने बुजुर्ग के स्वजनों को 50 हजार रुपये लौटा दिए।

केस दो : शास्त्रीनगर निवासी अरविंद कुमार सक्सेना एवं उनके परिवार के तीन अन्य सदस्य अप्रैल के आखिरी सप्ताह में कोरोना संक्रमित हुए थे। उन्हें पीलीभीत बाइपास स्थित साईं सुखदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां इलाज का खर्च चार लाख से ऊपर बना दिया गया। उन्होंने पार्षद गौरव सक्सेना से कहा तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात की। तब उन्होंने अस्पताल के पुराने मैनेजर की गलती बताते हुए बिल में सुधार करने को कहा। इसके बाद उन्होंने अरविंद सक्सेना को 1.45 लाख रुपए वापस कर दिए।

केस तीन : माडल टाउन निवासी सुभाष कथूरिया छह मई को डीडीपुरम स्थित गंगाशील अस्पताल में भर्ती हुए थे। अस्पताल से 13 मई को डिस्चार्ज हुए तो करीब 1.48 लाख रुपये का बिल बना दिया। इन्होंने पूरी रकम अस्पताल को चुका दी। सपा के महानगर महासचिव गौरव सक्सेना ने बताया कि शिकायत करने पर अस्पताल प्रबंधन ने उनके बेटे प्रतीक कथूरिया के नाम 50 हजार रुपये का चेक बनाकर रकम वापस कर दी। बिल में एडवांस जमा दिखा दिया।जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. रंजन गौतम ने बताया कि अस्पतालों में मरीजों को सुविधा मिलने की कुछ शिकायतें तो हैं, लेकिन वसूली की एक-दो शिकायत ही आई होंगी। जो भी शिकायत हमारे पास आई हैं, उनका निस्तारण करा दिया गया है।

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