शाहजहांपुुुर में असीमित जल दोहन से संकट में जन और जंगल
प्राकृतिक संपदा से मालामाल शाहजहांपुर में अंधाधुंध जल दोहन बड़ा संकट बनने लगा है। जानकर ताजुब होगा कि करीब दो दशक में प्रतिवर्ष दो फुट भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है।
शाहजहांपुर, जेएनएन । प्राकृतिक संपदा से मालामाल शाहजहांपुर में अंधाधुंध जल दोहन बड़ा संकट बनने लगा है। जानकर ताजुब होगा कि करीब दो दशक में प्रतिवर्ष दो फुट भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है। गत वर्ष मई जून में तराई क्षेत्र की तहसील पुवायां के आधा दर्जन गावों में हैंड पंप ने पानी छोड़ गए। 35 से 40 के फुट नीचे भूगर्भ जलस्तर पहुंच जाने से संकट गहरा गया। प्रशासन ने साठा धान को जलस्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण मान साठा धान पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे करीब 15 लाख करोड़ लीटर भूगर्भीय जल बचा है। जल निगम व नलकूप विभाग के आंकड़े बताते है कि दो दशक पूर्व तक जनपद का जलस्तर 6 से 8 फुट के करीब था। जो अतिदोहन से 2010 में 15 से 25 फुट पर पहुंच गया। 2020 में जल स्तर 30 से 45 फुट हो गया है। जो भविष्य के बड़े संकट का संकेत है।
इसलिए गहराया जल संकट
- नहरों में पानी की कमी, टेल का सूखना।
- ङ्क्षसचाई के लिए भूगर्भीय जल का अतिदोहन।
- वाहनेां की धुलाई, व घरेलू अपव्यय।
- कुओं, तालाबों की उपेक्षा।
- पक्की नालियों का निर्माण, वर्षा जल संचयन की उपेक्षा ।
इस तरह दूर होगा संकट से बचाव
- प्रत्येक गांव व घर में वर्षा जल संचयन को शॉक पिट बने
- सरकारी दफ्तरों में रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग अनिवार्य हो।
- फसलों की ङ्क्षसचाई में ड्रिप व ङ्क्षस्पक्रलर का सर्वाधिक प्रयोग हो।
- कुओं व तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए।
- पानी का व्यावसायिक उपयोग रोका जाए।
- घरों से वाहनों की धुलाई में रिसाइङ्क्षक्लग से पानी का प्रयोग हो।
वर्ष 2000 से 2008 तक शाहजहांपुर में दो मीटर से तीन मीटर तक वाटर लेबल था। जो अब 15 फुट नीचे पहुंच गया है। पुवायां में सर्वाधिक जलस्तर गिरा है।
बाबूराम सहायक अभियांत जलनिगम
प्रतिवर्ष दो फुट की दर से जल स्तर गिर रहा है। इससे नलकूप लगाने का खर्च भी बढ़ रहा है। समय रहते इसे न रोका गया तो बड़ा जल संकट सामने होगा।
शिवजीत सिंह, अधिशासी अभियंता, नलकूप