बिना चेकअप मरीज रेफर, सीएमएस ने की शिकायत
स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनती ही हैं अब महकमे के अफसर भी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। सोमवार को सामने आया मामला रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का है।
बरेली, जेएनएन : स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनती ही हैं, अब महकमे के अफसर भी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। सोमवार को सामने आया मामला रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का है।
दरअसल, सोमवार सुबह हुई एक दुर्घटना के बाद रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो घायल पहुंचे। दोनों के महज पर्चे बनाकर जिला अस्पताल बरेली रेफर कर दिया गया। दोपहर करीब एक बजे घायलों को अस्पताल लाया गया। मरीज होश में थे और चोट के बाबत सभी जानकारी दे रहे थे। इस पर जिला अस्पताल, इमरजेंसी वार्ड का स्टाफ भड़क गया। वजह, घायलों के जो पर्चे भरकर भेजे गए थे, उसमें 'इंजरी नॉट फाउंड' लिखा था। इमरजेंसी स्टाफ के मुताबिक रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बिना चोट की जानकारी लिए ही मरीज रेफर कर दिए। स्टाफ ने इसकी शिकायत जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. हर्षवर्धन से की। सीएमएस ने भी इसे रामनगर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की लापरवाही माना। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनीत कुमार शुक्ला को पत्र लिखकर रामनगर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की लापरवाही के बाबत शिकायत की है।
वर्जन
मामले में रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही सामने आई है। इस बाबत सीएमओ को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है।
- डॉ. हर्षवर्धन, सीएमएस, जिला अस्पताल
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कोरोना जांच की और खुले में फेंक दिया गाउन
बरेली, जेएनएन: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जहां से जिले भर के लिए गाइडलाइन जारी होती हैं। वहीं, कोविड-19 संबंधी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। सोमवार को जिला अस्पताल में कोरोना जांच के दौरान उपयोग किया जाने वाला गाउन खुले में ही डाल दिया गया। जबकि इस लापरवाही से संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। नियमानुसार उपयोग की गई पीपीई किट, गाउन, मास्क फौरन डिस्पोज करनी चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो तीन से चार फीट गहरे गड्ढे में इसे दबा देना चाहिए। वहीं, जिला अस्पताल प्रशासन पूरे प्रकरण से अनजान रहा। उधर, रविवार को अवकाश के बाद सोमवार को जिला अस्पताल की ओपीडी काफी बढ़ गई है। करीब 1200 मरीज उपचार, जांच या सलाह लेने पहुंचे। इस दौरान शारीरिक दूरी के मानक तार-तार दिखे। यही नहीं, कई लोग मास्क भी नहीं लगाए थे। बावजूद इसके अस्पताल में कोरोना संक्रमण से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस बाबत जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ.रंजन गौतम ने बताया कि कोरोना जांच या कोरोना वार्ड में उपयोग किसी भी तरह की किट को खुले में फेंकना गलत है। जिम्मेदार से जवाब-तलब किया जाएगा।
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कंपाउंडर कर रहा निजी अस्पताल में इलाज, जांच शुरू
बरेली, जेएनएन : आंवला तहसील के एक निजी अस्पताल में कंपाउंडर का मरीजों का इलाज करते हुए वीडियो वायरल हुआ है। एसीएमओ ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
आंवला के एक निजी अस्पताल का वीडियो सोमवार को वायरल हुआ। इसमें कंपाउंडर डॉक्टर की कुर्सी पर बैठा है। पास ही ब्लड प्रेशर चेक करने की मशीन और स्टेथोस्कोप भी रखा है। वह मरीजों की जांच करने के बाद दवाएं लिख रहा है। वीडियो मरीज या साथ आए किसी तीमारदार ने बनाया है। वायरल वीडियो स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों तक पहुंचा। इसके बाद एसीएमओ डॉ.रंजन गौतम ने प्रभारी अधिकारी चंद्रपाल सिंह को जांच सौप दी है। टीम जल्द ही औचक निरीक्षण करेगी। हालांकि अधिकारी मान रहे हैं कि वीडियो के आधार पर भी कार्रवाई के पर्याप्त साक्ष्य हैं।