ड्राइविंग में पास या फेल तय होगा कंप्यूटर से, मार्च से शुरु होगा ऑटोमेटिक ड्राइविग टेस्ट ट्रैक

पांच हजार वर्गमीटर में बना बरेली का सेंसर तकनीक वाला ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक प्रदेश में कानपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा है। टेस्ट के समय होने वाली गड़बड़ियों को सेंसर रीड करेंगे और सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जाएगी। गलती पर खुद प्वाइंट कटेंगे।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 03:30 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 03:30 PM (IST)
ड्राइविंग में पास या फेल तय होगा कंप्यूटर से, मार्च से शुरु होगा ऑटोमेटिक ड्राइविग टेस्ट ट्रैक
अब दूसरी कंपनी के तय होने के बाद मार्च माह में इसके शुरू होने की उम्मीद है।

 बरेली, जेएनएन।  पांच हजार वर्गमीटर में बना बरेली का सेंसर तकनीक वाला ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक प्रदेश में कानपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा है। टेस्ट के समय होने वाली गड़बड़ियों को सेंसर रीड करेंगे और सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जाएगी। गलती पर खुद प्वाइंट कटेंगे। तय प्वाइंट पर पास या फेल कंप्यूटर से ही तय होगा। हालांकि इस ट्रैक के शुरू होने के लिए कंपनी का चयन एक बार फिर से होना है। इसके लिए निविदा डाल दी गई है। जिसे फरवरी में खोला जाएगा। इससे पहले चयनित कंपनी को कानपुर व बरेली दोनों जगह का ठेका मिला था। जिसमें कंपनी ने बरेली में अधिक रेट तय किए थे। अब दूसरी कंपनी के तय होने के बाद मार्च माह में इसके  शुरू होने की उम्मीद है।

 कई उपकरण पूर्व में हो चुके हैं चोरी

परसाखेड़ा में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का भले ही तीन साल पहले उद्घाटन हुआ था। आज तक एक भी आवेदक का इस ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट नहीं हुआ बल्कि कर्मचारियों के अभाव में आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। चोरों ने यहां कई इलेक्ट्रिक उपकरण भी चुरा लिए। शासन स्तर पर चल रही लापरवाही के कारण आज तक टेक्निकल कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

2017 में हुआ था उद्घाटन

परिवहन विभाग की ओर से परसाखेड़ा में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के निर्माण का शुभारंभ 2015 में हुआ था। 2017 में यह काम कंप्लीट हुआ। परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने भी यहां निरीक्षण किया था। जिसमें कई टेक्निकल कमियां बताई थी। यूपीपीसीएल ने करीब दी एकड़ में इस ट्रैक का निर्माण किया। गुजरात की एक कंपनी से इलेक्ट्रिक उपकरण खरीदे गए थे। ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक को बनने में करीब तीन साल लगे। जमीन खरीदने और ट्रैक निर्माण में करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च हुए।

शनिवार को आरटीओ के साथ हुई बैठक के बाद जागी उम्मीद

ट्रैक संचालन व रखरखाव के लिए अपर परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा की ओर से चार जनवरी को इस ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के संचालन व रख-रखाव के लिए परिवहन विभाग ने टेंडर के लिए ई-निविदा मांगी थी। जिसके संबंध में लिखित सवाल भी मांगे गए थे। शनिवार को इस मामले में आरटीओ डा. अनिल गुप्ता के कार्यालय में प्री-बिड कांफ्रेंस में तमाम जानकारियां व सवालों के जवाब दिए गए। जिसके बाद अब इस ट्रैक को मार्च तक शुरू होने की पूरी उम्मीद है।

क्या कहना है आरटीओ का 

आरटीओ डा. अनिल गुप्ता का कहना है कि ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। सब कुछ सही रहा तो मार्च में कंपनी नामित होने के साथ ही कार्य शुरू हो जाएगा। 

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