आक्सीजन सिलेंडर न मिलने से काेराेना संक्रमित माैसा की हुई माैत, युवक का फूटा गुस्सा, फेसबुक वाल पर लिखा- वाह शेरों वाह

बदायूं सौरभ तोमर कछला के रहने वाले हैं। इनके मेरठ निवासी मौसा रामपाल संक्रमित थे। जिन्हें सांस की दिक्कत के चलते आक्सीजन की बेहद जरूरत थी। मेरठ में जब आक्सीजन का कोई इंतजाम नहीं हो पाया तो सौरभ तोमर ने उझानी में आक्सीजन सिलिंडर देने की गुहार लगाई।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:11 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 07:11 PM (IST)
आक्सीजन सिलेंडर न मिलने से काेराेना संक्रमित माैसा की हुई माैत, युवक का फूटा गुस्सा, फेसबुक वाल पर लिखा- वाह शेरों वाह
आक्सीजन सिलेंडर न मिलने से काेराेना संक्रमित माैसा की हुई माैत

बरेली, जेएनएन। बदायूं सौरभ तोमर कछला के रहने वाले हैं। इनके मेरठ निवासी मौसा रामपाल संक्रमित थे। जिन्हें सांस की दिक्कत के चलते आक्सीजन की बेहद जरूरत थी। मेरठ में जब आक्सीजन का कोई इंतजाम नहीं हो पाया तो सौरभ तोमर ने उझानी में आक्सीजन की मदद करने वाले समाजसेवियों से एक सिलिंडर देने की गुहार लगाई। बदकिस्मती से उनको आक्सीजन का खाली बड़ा सिलिंडर हाथरस से मिला। ऐन वक्त पर बड़ा सिलिंडर होने के कारण समाजसेवियों में शामिल नेता ने छोटा सिलिंडर लाने का हवाला देते हुए आक्सीजन देने से मना कर दिया।

आक्सीजन न मिल पाने के कारण उनके मौसा की मौत हो गई। मौसा की मौत का दुख जाहिर करते हुए नेता और समाजसेवियों इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्हाेंने फेसबुक पेज पर लिखा उझानी में आक्सीजन की उम्मीद मत करना, आखिरी समय पर मरने को छोड़ दिया जाएगा। उझानी के नेता वाह शेरों वाह।

जिले में संक्रमित मरीजों को बढ़ती संख्या को देखते हुए मुनाफाखोरों ने आक्सीजन को जरिया बना लिया है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके है। बावजूद पुलिस प्रशासन ऐसे नेताओं और समाजसेवा के नाम पर ढोंग रचाने वाले समाजसेवियों पर नकेल कसने में विफल रहा है।

आक्सीजन की किल्लत को देखते हुए इंटरनेट मीडिया पर समाजसेवी मदद के नाम आगे तो आ रहे है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। समाजसेवा के नाम पर ढोंग रचाया जा रहा है। नेता इंटरनेट मीडिया पर आक्सीजन की मदद को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते है।

दो दिन पूर्व एक समाजसेवी ने हमीरपुर प्लांट से एक नेता की सिफारिश से करीब 50 सिलिंडर आक्सीजन के सिलिंडर मंगाए थे। हमीरपुर से 50 सिलिंडर बदायूं आते-आते सिर्फ 35 करीब रह गए। बाकी के सिलिंडर की चर्चा है रास्ते में मुनाफाखोरी में बेच दिए गए। जबकि प्लांट से नेता की सिफारिश से सिलिंडर आम दामों में उपलब्ध हुए थे।

यहीं हाल शहर बदायूं और उझानी है। दस दिन पूर्व आक्सीजन की किल्लत को देखते हुए कुछ समाजसेवियों ने मुनाफाखोरी का प्लान बनाया। जिसमें आक्सीजन के सिलिंडर इकट्ठा कर लिए गए लेकिन जब एक बड़े व्यापारी को आपदा में उन लोगों की करतूत का पता लगा तो उन्होंने स्वयं को टीम से अलग कर लिया।

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