बरेली के 12 हजार किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभ
कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस बार केवल 12 हजार किसानों ने ही खरीफ की फसल का बीमा कराया है जिन्हें नुकसान की भरपाई मिलेगी। शेष किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा। बीमा कंपनी द्वारा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में अभी केवल 42 किसानों ने फसल नष्ट होने का दावा किया है।
जागरण संवाददाता, बरेली: पिछले दो दिन में हुई बारिश से खेत में पकी खड़ी धान की फसल नष्ट हो गई है। खेतों में पानी भर जाने से धान उसमें सड़ रहा है। बेमौसम बारिश किसानों के लिए जहां किसी आफत से कम नहीं है, वहीं उनकी जारा सी लापरवाही और भारी पड़ रही है। जिले में कुल 4,60,450 किसान हैं। इसमें दो लाख से अधिक किसान धान की फसल करते हैं। बारिश समेत ओलावृष्टि जैसी घटनाएं पिछले कुछ वर्षों से बेमौसम हो रही है। बावजूद इसके बेपरवाह किसान फसल का बीमा नहीं कराते। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस बार केवल 12 हजार किसानों ने ही खरीफ की फसल का बीमा कराया है, जिन्हें नुकसान की भरपाई मिलेगी। शेष किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा। बीमा कंपनी द्वारा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में अभी केवल 42 किसानों ने फसल नष्ट होने का दावा किया है। केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत फसल में नुकसान होता है या फिर प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हो जाती हैं तो सरकार बीमित फसल का भुगतान करती है। हर फसल के लिए अलग-अलग बीमित धनराशि है। गन्ने की फसल का बीमा नहीं होता है। उसे अधिसूचित फसलों की श्रेणी से बाहर रखा गया है।
योजना स्वैच्छिक होने के बाद घटे किसान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक होने के बाद किसानों का इससे मोहभंग हुआ। जिले से धान की फसल का केवल 11,750 ऋणी किसानों व 250 गैर ऋणी किसानों ने ही बीमा कराया। वहीं कुछ किसान कहते हैं कि बीमा कंपनियां हर साल प्रीमियम की कटौती कर अपना खजाना तो भर लेती हैं, लेकिन फसल बर्बादी के बाद सर्वेक्षण में इतने मानक निर्धारित कर दिए जाते हैं कि 90 फीसद किसान क्षतिपूर्ति से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में फसल बीमा कराने का कोई लाभ नहीं मिल पाता है।
वर्जन
किसानों को फसल का बीमा कराने के लिए प्रेरित किया जाता है, फिर भी किसान बीमा कराने में दिलचस्पी नहीं लेते। धान की बीमित फसल का किसानों को लाभ मिलेगा।
- धीरेंद्र सिंह चौधरी, जिला कृषि अधिकारी