एक साल तीन महीने और चार दिन बरेली की रबर फैक्ट्री परिसर में रही बाघिन ने जानिये क्या खाया, किसका किया शिकार

Tigress caught in Bareilly बाघिन एक साल तीन माह चार दिन बाद जाल में फंस पाई है।बाघिन पकड़ तो ली गई लेकिन एक सवाल सभी के मन में कौंध रहा होगा कि आखिर इतने दिन बाघिन रबर फैक्ट्री परिसर में रही तो उसने क्या खाया होगा?

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 04:40 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 04:40 PM (IST)
एक साल तीन महीने और चार दिन बरेली की रबर फैक्ट्री परिसर में रही बाघिन ने जानिये क्या खाया, किसका किया शिकार
रबर फैक्ट्री में बाघिन ने एक बड़े टैंक को अपना सुरक्षित आशियाना बना रखा था।

बरेली, जेएनएन।Tigress caught in Bareilly : फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन एक साल तीन माह चार दिन बाद जाल में फंस पाई है।बाघिन पकड़ तो ली गई लेकिन एक सवाल सभी के मन में कौंध रहा होगा कि आखिर इतने दिन बाघिन रबर फैक्ट्री परिसर में रही तो उसने क्या खाया होगा, क्या पीया होगा, किसका शिकार किया होगा?तो यहां हम बता दें कि फैक्ट्री का परिसर काफी बड़ा है।जो 1270 एकड़ में फैला है।करीब 22 साल से फैक्ट्री बंद पड़ी है।इसके चलते पूरा फैक्ट्री परिसर जंगल में तब्दील हो चुका है।इस जंगल में पड्डे, जंगली सुअर, हिरन, चीतल और अन्य जानवरों ने अपना आशियाना बना लिया है। इसलिए बाघिन को इतनेे दिन तक यहां रहने में कोई दिक्कत नहीं हुई होगी।वह इन्हीं जानवरों का शिकार कर अपना पेट भर रही होगी।खैर अब बाघिन पकड़ ली गई है।

ट्रेंक्युलाइज करने की मिलने में क्यों हुई देरी :

दरअसल रबर फैक्ट्री में बाघिन ने एक बड़े टैंक को अपना सुरक्षित आशियाना बना रखा था।उससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता था।ऐसे में उसे ट्रेंक्युलाइज करना उसकी जान के लिए घातक हो सकता था। इसलिए पहले रबर फैक्ट्री टैंक के मुख्य गेट पर एक पिंजरा लगाया गया। जिससे कि जैसे ही बाघिन टैंक से बाहर निकलेगी वह तुरंत पकड़ में आएगी।लेकिन 24 घंटे तक बाघिन बाहर नहीं आई।इस पर शासन से एक बार फिर ट्रेंक्युलाइज करने की अनुमति मांगी गई। शुक्रवार की दोपहर में अनुमति मिलते ही बाघिन को ट्रेंक्युलाइज करके पिंजरे में बंद कर दिया गया। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के विशेषज्ञ डॉ.सुशांत की कड़ी मेहनत के बाद वन विभाग को यह सफलता हासिल हुई है। 125 सदस्य टीम बाघिन को पकड़ने के लिए लगाई गई थी।

टीम के सदस्य

मुख्य वन सरंक्षक- ललित वर्मा

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डारयेक्टर व वन संरक्षक- जावेद अख्तर

डीएफओ- भारत लाल

विशेषज्ञ : डॉ दक्ष गंगवार, एके राठौर, डॉ सुशांत

रेंजर- रविंद्र सक्सेना, वैभव सक्सेना, संतोष शर्मा, अरुण श्रीवास्तव, मुकेश कांडपाल, राजेश शर्मा, नीलमणि और डिवीजन के 100 अन्य कर्मचारी के साथ आठ प्राइवेट कर्मचारी। 

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