बरेली में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर दीवान सजाकर रागी जत्थों ने किया कीर्तन
Martyrdom day of Guru Arjun Dev सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में ही व्यतीत किया। अर्जुन देव को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। वे संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। उन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं।
बरेली, जेएनएन। Martyrdom day of Guru Arjun Dev : सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में ही व्यतीत किया। अर्जुन देव को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। वे संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। उन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं, जो आदिग्रंथ में संकलित हैं। इनकी रचनाओं को आज भी लोग गुनगुनाते हैं और गुरुद्वारे में कीर्तन किया जाता है।शहीदों के सरताज कहे जाने वाले वीर योद्धा श्रीगुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस सोमवार को गुरुद्वारों में धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारों में दीवान सजाकर रागी जत्थों ने कीर्तन किया।
कोहडापीर गुरूद्वारा में ज्ञानी मेजर सिंह ने शहीदी दिवस पर प्रकाश डालते हुए मौजूद लोगों को बताया कि 1606 में आज ही के दिन मुगल बादशाह जहांगीर ने उनकी जघन्य तरीके से यातना देकर हत्या करवा दी थी। इसी कारण हर साल आज ही के दिन उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है। वे सिखों के पांचवें गुरु थे। उन्होंने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया। वे दिन रात संगत और सेवा में लगे रहते थे। वे सभी धर्मों को एक समान दृष्टि से देखते थे। बता दें कि गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल साल 1563 में हुआ था। वे गुरु रामदास और माता बीवी भानी के पुत्र थे। उनके पिता गुरु रामदास स्वयं सिखों के चौथे गुरु थे, जबकि उनके नाना गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी का बचपन गुरु अमर दास की देखरेख में बीता था। उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी। साल 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था। दोनों का पुत्र हुआ जिनका नाम हरगोविंद सिंह था, जो बाद में सिखों के छठे गुरु बने। वहीं सोमवार को शहर के कई प्रमुख चौराहों पर शर्बत वितरण भी किया गया।