एनआरसी : बरेली में कुपोषण का दंश झेल रहे मासूम को मिला जीवन
जन्म के बाद से ही खून और पोषण की कमी से कुपोषण का दंश झेल रहे मासूम को जिले के पोषण पुनर्वास केंद्र में जीवनदान मिला है। दो हफ्ते पहले जब रंजू भर्ती हुआ तब उसके शरीर पर सिर्फ सूखी खाल का एक कवच जैसा था।
बरेली, जेएनएन। जन्म के बाद से ही खून और पोषण की कमी से कुपोषण का दंश झेल रहे मासूम को जिले के पोषण पुनर्वास केंद्र में जीवनदान मिला है। दो हफ्ते पहले जब रंजू भर्ती हुआ तब उसके शरीर पर सिर्फ सूखी खाल का एक कवच जैसा था। न हाथों मे दम था न पैरों में ताकत। वह अतिकुपोषित था। यह ऐसे तमाम परिवारों के लिए सबक है जो अपने अतिकुपोषण बच्चों को सरकारी अस्पताल तक नहीं ले जाते हैं। पहले बच्चों के पोषण में लापरवाही करते हैं और फिर उनके उपचार में।
ब्लाक भदपुरा के पहरपुरा गांव निवासी मनोज की पत्नी सोमवती ने करीब दो साल पहले रंजू को जन्म दिया। परिवार वाले रंजू के खान-पान का ख्याल नहीं रख पाए। धीरे-धीरे मासूम का स्वास्थ्य गिरता गया। शरीर का मांस सिकुड़ गया, हड्डियां दिखाई देने लगीं। सूरत में एकाएक बदलाव आ गया।
रंजू की हालत गंभीर होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाकर चिकित्सक को दिखाया। वहां चिकित्सक ने उसे अति कुपोषित घोषित कर दिया। इसके बाद आगंनबाड़ी के माध्यम से जिला अस्पताल स्थित एनआरसी लाया गया। जहां दो हफ्ते के इलाज के बाद मासूम खतरे से बाहर आ गया। अब रंजू सामान्य बच्चों की तरह ही सेहतमंद है। उसे अस्पताल से भी छुट्टी मिल गई है।
बच्चे को इलाज, मां को परामर्श
बच्चे को तुरंत माइक्रो न्यूट्रिएंट्स जैसे- मल्टी विटामिन, फोलिक एसिड, जिंक आदि दिए गए। कुछ एंटीबायोटिक इंजेक्शन भी दिए गए हैं। इसके अलावा उसकी मां की काउंसलिंग भी की गई।
एनआरसी में कुपोषण के शिकार बच्चों को बेहतर वातावरण के साथ उपचार दिया जाता है। जिस परिवार में भी कुपोषित बच्चा है तो उसे बिना देर करे सरकारी अस्पताल लेकर आएं।
- डा. रोजी जैदी, डाइटीशियन, जिला अस्पताल