New Technology News : इंसानों को राहत देगी जानवरों का बांझपन दूर करने वाली आइवीआरआइ की ये नई वैक्सीन, जानिए कैसे

New Technology News अपने देश में निर्मित एक नई वैक्सीन पशुओं में ब्रूसीलोसिस रोग के संक्रमण एवं इसके प्रसार को अब काफी हद तक कम कर देगी। पांच साल शोध के बाद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने यह वैक्सीन बनाई है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 07:46 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 05:47 PM (IST)
New Technology News : इंसानों को राहत देगी जानवरों का बांझपन दूर करने वाली आइवीआरआइ की ये नई वैक्सीन, जानिए कैसे
New Technology News : जानवरों के लिए बनाई गई आइवीआरआइ की नई वैक्सीन से मिलेगी इंसानों को राहत, जानिए कैसे

बरेली, जेएनएन।New Technology News : अपने देश में निर्मित एक नई वैक्सीन पशुओं में ब्रूसीलोसिस रोग के संक्रमण एवं इसके प्रसार को अब काफी हद तक कम कर देगी। पांच साल शोध के बाद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने यह वैक्सीन बनाई है। इसका नाम ब्रुसेल्ला एबोटस-19 डेल्टापर वैक्सीन है। इस वैक्सीन को इसकी सुरक्षा जांच के बाद बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए जारी भी कर दिया गया है। जल्द ही यह नया टीका बाजार में आने की उम्मीद है। जिसके बाद इंसानों को भी काफी हद तक राहत मिलने की संभावना है। 

ब्रूसीलोसिस रोग ब्रुसेल्ला नामक जीवाणु से फैलने वाली बीमारी है, जो जानवरों और इंसानों दोनों को प्रभावित करती है। इंसानों में यह रोग संक्रमित जानवरों के उत्पाद, जैसे कच्चा दूध या उससे बने उत्पादों के प्रयोग से फैलता है। रोगी मनुष्यों में बुखार, भूख न लगना, सुस्ती, जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण पाए जाते हैं। वहीं, पशुओं, जैसे गाय, भैंस, बकरी, भेड़ व सुअर आदि में गर्भपात हो जाता है। इस समस्या को रोकने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने मिलकर ब्रुसीलोसिस नेटवर्क प्रोग्राम के तहत आइवीआरआइ को शोध के लिए यह प्रोजेक्ट दिया था।

पांच साल में इजाद की नई वैक्सीन

आइवीआरआइ के जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रोजेक्ट के मुख्य शोधकर्ता डॉ. पल्लव चौधरी बताते हैं कि अभी तक ब्रूसीलोसिस पीडि़त पशुओं में संक्रमण को दूर करने के लिए ब्रुसेल्ला एबोटस एस-19 वैक्सीन थी। इसमें कई कमियां थीं, जिसकी वजह से वयस्क पशुओं जैसे गाय, भैंस आदि में कभी-कभी गर्भपात हो जाता है। साथ ही एंटीबॉडी परीक्षणों के आधार पर टीकाकृत व संक्रमित पशुओं की पहचान संभव नहीं थी। नई वैक्सीन के प्रयोग से टीकाकृत व संक्रमित पशुओं में भिन्नता की जांच कर पाना भी अब संभव होगा। इन समस्याओं को रोकने और रोग के फैलाव को कम करने के लिए नई वैक्सीन तैयार की है।

इन पर पशुओ पर किया गया शोध

इसके लिए चूहा-गिनी पिग और भैंस पर शोध किया गया। विभिन्न चरणों में ट्रायल हुए। जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक से ब्रूसीलोसिस बैक्टीरिया के आकार को बदल कर रोग पैदा करने की क्षमता को कम किया गया। नई वैक्सीन काफी सुरक्षित भी है।

20 हजार करोड़ रुपये का होता है नुकसान

ब्रूसीलोसिस बीमारी की वजह से भारतीय डेयरी उद्योग को पशुओं के बांझपन, गर्भपात और कम उत्पादन की वजह से सालाना 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

एक उन्नत टीका बनाने और इसके प्रयोग से ब्रुसीलोसिस के संक्रमण को कम करने के लिए इस प्रोजेक्ट पर डा. पल्लव चौधरी के नेतृत्व में टीम काम कर रही थी। अब नई वैक्सीन विकसित की गई, जिसे हाल ही में रिलीज किया गया है। - डॉ. महेश चंद्र, संयुक्त निदेशक (एक्सटेंशन), आइवीआरआइ 

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