भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व फिजियोथेरेपिस्ट ने किया आगाह, चिकन खाकर खेलने न उतरे खिलाड़ी
चौबीस साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के फिजियोथेरेपिस्ट पैनल में रहे डॉ. अनिल करवंदे ने उभरते खिलाड़ियों की फिटनेस और डाइट (खुराक) को लेकर चिंता जताई है।
बरेली(जेएनएन)। चौबीस साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के फिजियोथेरेपिस्ट पैनल में रहे डॉ. अनिल करवंदे ने उभरते खिलाड़ियों की फिटनेस और डाइट (खुराक) को लेकर चिंता जताई है। कहा कि युवा खिलाड़ियों में कैल्शियम की काफी कमी है। इसी वजह से मैदान पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन खराब रहता है। नॉनवेज के शौकीन खिलाड़ियों को आगाह किया कि मैच के दिन चिकन-मटन कतई न खाएं। क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है, जबकि खिलाड़ी के शरीर को उस वक्त प्रोटीन की जरूरत होती है।
डॉ. करवंदे सोमवार को बरेली कॉलेज पहुंचे थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों के फिटनेस का राज साझा किया। बोले, सचिन तेंदुलकर डाइट और फिटनेस को लेकर बेहद संजीदा हैं। महेंद्र सिंह धौनी भी फिटनेस-डाइट की सतर्कता से मैदान पर इतना दम दिखा पाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी अपनी डाइट को लेकर बेहद गंभीर हैं। वर्तमान में वह रानी लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन के मैनेजमेंट सदस्य हैं।
चुटकी भर चूने से मिलेगी कैल्शियम
डॉ. करवंदे ने कहा कि आज के युवा खिलाड़ियों में कैल्शियम की काफी कमी है। इसके लिए वे कैल्शियम की टेबलेट खाते हैं। बेहतर है कि वे टेबलेट के बजाय चावल में चुटकी भर चूना डाल दें। इससे पर्याप्त कैल्शियम मिलेगा। पेय पदार्थ में नीबू पानी, फलों के जूस लें।
फिजिकल एजुकेशन के पेपर के खिलाफ
स्नातक-परास्नातक में फिजिकल एजुकेशन की परीक्षा पर हैरत जताते हुए डॉ. करवंदे कहते हैं कि इसमें परीक्षा की क्या जरूरत। प्रैक्टिकल के लिए खिलाड़ियों को मैदान पर उतारें।
कॉलेज टाइम पर नहीं हो सकता खेल
कॉलेजों में खेल का स्तर तभी बेहतर हो सकता है, जब खिलाड़ी सुबह करीब चार घंटे खेलें। पढ़ाई के समय खेल नहीं हो सकते। शुरू से तैयारी करेंगे तभी अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए हम बेहतर खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं।