बदायूंं जेल मेंं बंदी नौ देवियों के लिए रख रहे उपवास और अल्लाह की इबादत के लिए रोजा
चैत्र नावरात्र और माह ए रामजान का पवित्र पर्व इस बार सलाखों के पीछे एक साथ हर्ष उल्लास से मनाएं जा रहे है। यहां अस्था की लौ के साथ अल्लाह की इबादत की जा रही है।बदायूं जेल प्रशासन रोजा और उपवास रखने वाले बंदियों का विशेष ख्याल रखा रहा है।
बरेली, जेएनएन। चैत्र नावरात्र और माह ए रामजान का पवित्र पर्व इस बार सलाखों के पीछे एक साथ हर्ष उल्लास से मनाएं जा रहे है। यहां अस्था की लौ के साथ अल्लाह की इबादत की जा रही है।बदायूं जेल प्रशासन रोजा और उपवास रखने वाले बंदियों का विशेष ख्याल रखा रहा है। जेल प्रशासन ने शेड्यूल के हिसाब से रोजेदारों को खजूर, बंद, शर्बत के साथ इफ्तार का इंतजाम किया है तो वहीं उपवास रखने वालों केे लिए फलाहार के लिए आलू, केला, दूध और चीनी का प्रबंध किया है।
कहा जाता है अल्लाह की इबादत के लिए हर जगह नियत नहीं है। इंसान हर जगह और हर समय इबादत कर सकता है। रमजान के पवित्र महीने में जेल की सलाखों में रहकर भी ढाई सौ से अधिक बंदी इबादत में मशगूल हैं। तो वहीं चैत्र नवरात्र के चलते करीब ढाई बंदी मां की उपासना में लीन है। जेल प्रशासन भी जेल मैन्युअल के हिसाब से रोजदार बंदियों को इफ्तार और सहरी की व्यवस्था की है। रोजा रखने वाले सभी बंदियों को शाम होते ही इफ्तार और सहरी के लिए खाद्य साम्रगी उपलब्ध करा दी जाती है। बंदी अपनी-अपनी बैरकों में रोजा इफ्तार करते हैं और नमाज भी अदा करते हैं।
सुबह सहरी के समय सभी रोजदार बंदियों को जगा दिया जाता है। बंदी उठकर सहरी करते हैं रोजा रखने वाले बंदी जेल में रहकर नमाज अदा करते हैं। इसके अलावा हिंदू बंदियों के लिए भी फलाहार की व्यवस्था की गई है। जेलर ने बताया कि रोजा रखने वाले बंदियों को इफ्तार व सहरी का समान दिया जाता है। जबकि व्रत रखने वाले बंदियों के लिए फलाहार दिया जाता है।