National Breast Cancer Month : कैंसर विशेषज्ञ बोले- महिलाओं के स्तन की हर गांठ कैंसर ही नहीं

National Breast Cancer Month कैंसर पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ रहा है। पुरुषों के अलावा महिलाओं में बच्चेदानी और स्तन कैंसर के काफी मामले हर साल सामने आते हैं। पहले जहां बच्चेदानी का कैंसर महिलाओं में सबसे सामान्य था।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 04:22 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 04:22 PM (IST)
National Breast Cancer Month : कैंसर विशेषज्ञ बोले- महिलाओं के स्तन की हर गांठ कैंसर ही नहीं
National Breast Cancer Month : कैंसर विशेषज्ञ बोले- महिलाओं के स्तन की हर गांठ कैंसर ही नहीं

बरेली, जेएनएन। National Breast Cancer Month : कैंसर पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ रहा है। पुरुषों के अलावा महिलाओं में बच्चेदानी और स्तन कैंसर के काफी मामले हर साल सामने आते हैं। पहले जहां बच्चेदानी का कैंसर महिलाओं में सबसे सामान्य था। वहीं अब स्तन कैंसर की पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि महिलाओं में स्तन की गांठ को लेकर असमंजस रहता है। अधिकांश महिलाएं इसे कैंसर मानकर अवसाद में चली जाती हैं।

श्रीराम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज स्थित आरआर कैंसर एंड रिसर्च सेंटर के एचओडी कैंसर विशेषज्ञ प्रोफेसर (डा.) पीयूष कुमार अग्रवाल बताते हैं कि स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती है। यदि स्तन में लगातार कोई गांठ है और उसके आकार में बदलाव भी हो रहा है। तो कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। महिलाएं शुरुआती स्तर पर खुद ही घर पर इसका परीक्षण कर सकती हैं। लेकिन जागरूकता की कमी से ऐसा नहीं हो पाता और यही स्तन कैंसर बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। हर साल अक्टूबर में राष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है।

लाइलाज नहीं है स्तन कैंसर

डा.पियूष बताते हैं कि स्तन कैंसर है या नहीं, ये मैमोग्राफी जांच में पता चलता है। मैमोग्राफी एक सरल रेडियोग्राफिक तकनीक है, जिससे स्तन के ऊतक में होने वाली अनियमितताओं का पता लगाने में मदद मिलती है। शरीर के किसी भी अंग में कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि कैंसर होती है। यह वृद्धि गांठ के रूप में सामने आती है। अगर यह स्तन में हो तो इसे स्तन कैंसर कहते हैं। आरंभिक स्तर पर जानकारी, कैंसर विशेषज्ञ से परामर्श के बाद जरूरी इलाज से अन्य कैंसर की तरह स्तन कैंसर का भी सफल इलाज हो सकता है। लेकिन जागरूकता की कमी से ज्यादातर मरीज महिलाएं बीमारी बढ़ने या तीसरे चरण में डाक्टर के पहुंचते हैं।

महीने में एक बार जरूरी परीक्षण 

विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाएं महीने में एक बार सामान्य रूप से अपने स्तन का परीक्षण करें। इस दौरान स्तन के आकार और रंग में बदलाव, निपल की स्थिति या आकर में बदलाव, निपल अंदर की ओर मुड़ना, स्तन में सिकुड़न अथवा गड्ढा होना, निपल के आसपास फुंसी या ददोरा, बगल अथवा स्तन के हिस्से में लगातार दर्द के साथ निपल से द्रव का निकलना, बगल के नीचे या कंधे के चारों ओर सूजन होना जैसा है तो कैंसर हो सकता है।

आनुवंशिक के साथ ये हैं स्तन कैंसर की वजह 

यदि परिवार में स्तन कैंसर से पीड़ित होने का इतिहास है, तो उस परिवार की लड़कियों में स्तन कैंसर होने का खतरा सामान्य कैंसर पीड़ित महिलाओं से करीब दस फीसद ज्यादा होता है। जिन महिलाओं के स्तन में घने टिश्यू होते हैं उनमें भी स्तन कैंसर का जोखिम अधिक होता हैं। इसके अलावा अनियमित जीवनशैली, असंतुलित आहार, धूमपान, एल्कोहल, हाई फैट का सेवन करने वाली महिलाओं में भी स्तन कैंसर का खतरा दूसरों के मुकाबले ज्यादा होता है। जिन महिलाओं को मासिक धर्म समय से पहले या रजोनिवृत्ति सामान्य की तुलना में बाद में होती हैं, उनमें भी स्तन कैंसर होने का आशंका ज्यादा होती है।

पुरुषों में स्तन कैंसर की संभावना बेहद कम 

आमतौर पर स्तन कैंसर, स्तन की वाहिकाओं (निपल तक दूध पहुंचाने वाली वाहिकाएं) और लोबस (वाहिकाएं जो दूध बनाती हैं) में अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। बावजूद इसके कुछ कुछ मामले पुरुषों में स्तन कैंसर के भी आ चुके हैं।

स्तन कैंसर के इलाज में पूरा ब्रेस्ट नहीं निकालना पड़ता 

डा.पियूष यह भी बताते हैं कि पहले स्तन कैंसर में पूरे ब्रेस्ट को निकालना पड़ता था। लेकिन अब ब्रेस्ट आन्कोप्लास्टी जैसी नई सर्जरी से पूरे स्तन को बचाया जा सकता है।

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