सड़कों की फूली सांस, बेधड़क दौड़ रहा 'कबाड़'
सड़कों पर नए वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चलने के लिए जगह नहीं बची है।
जेएनएन, बरेली : सड़कों पर नए वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चलने के लिए जगह नहीं बची है। रास्ते संकरे हो गए हैं। आए दिन हादसों में लोगों की जान जा रही है, जबकि वाहनों की निगरानी करने वाले परिवहन विभाग के अफसर सो रहे हैं। जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि सड़क पर कबाड़ वाहनों की तादात तेजी से बढ़ रही है। खुद विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 48 हजार से ज्यादा ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन ही खत्म हो चुका है। इनमें अधिकांश वर्ष 1988 से पहले के हैं। हां, अफसर अपनी पीठ थपथपाने के लिए यह दावा जरूर कर रहे हैं कि इस साल हमने गैर री-रजिस्टर्ड करीब दो हजार वाहनों को सस्पेंड कर दिया।
यूटीआइ-यूजीएल के नंबर यानी सीधे खतरा
परिवहन महकमे में वर्ष 1989 में यूपी-25 की सीरीज शुरू हुई थी। इससे पहले वर्ष 1988 तक तीन अल्फाबेट जैसे यूटीआइ-यूजीएल से रजिस्ट्रेशन नंबर की शुरूआत होती थी। पहली लिस्ट में अधिकतर वाहन तीन एल्फाबेट से शुरू होने वाले ही हैं। महज पंद्रह से बीस नंबर हैं जो यूपी-25 सीरीज के हैं। बावजूद परिवहन विभाग ने उन वाहनों को कंडम घोषित नहीं किया जो 15 साल पूरे कर चुके हैं। या उन्होंने दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।
फिर पेनल्टी पर होगा री-रजिस्ट्रेशन
आंकड़े चौंकाते हैं। अकेले शहर में बिना री-रजिस्ट्रेशन वाले करीब 50,893 वाहन हैं। सारे के सारे बेधड़क दौड़ रहे हैं। सड़कों पर भीड़ बढ़ा रहे हैं। लोगों की जान के लिए खतरा बने हैं। हालांकि, इनकी फिटनेस चेक करने के बाद री-रजिस्ट्रेशन की सुविधा है। दोपहिया वाहनों के इसकी फीस हर महीने 300 रुपये है। चारपहिया वाहन का 500 रुपये प्रति माह विलंब शुल्क तय है। वाहन का पंजीकरण निरस्त होने के बाद गाड़ी पकड़े जाने पर ताउम्र के लिए सील होती है। सरकारी वाहन भी कबाड़
निजी वाहन ही क्यों। ऐसे सरकारी वाहनों की तादात भी लगातार बढ़ रही जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। पुलिस हो या बिजली विभाग, प्रशासन और डिपार्टमेट। तमाम वाहन अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। बावजूद अफसर आंखें बंद किए हैं। अब यह दावा
नोटिस के बावजूद जिन वाहन मालिकों ने री-रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, ऐसे दो हजार वाहनों का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है। दंड भुगतने के बाद दोबारा पंजीकरण न कराने पर छह महीने बाद रजिस्ट्रेशन रद हो जाएगा।
- आरपी सिंह, एआरटीओ (प्रशासन), बरेली