मोरारी बापू बोले-जितना संस्कृत से उतना उर्दू से भी रिश्ता

शहर की तंग गलियों से गुजरकर मोरारी बापू शाम प्रोफेसर वसीम बरेलवी से मिलने उनके आवास पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Mar 2019 12:06 AM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2019 12:06 AM (IST)
मोरारी बापू बोले-जितना संस्कृत से उतना उर्दू से भी रिश्ता
मोरारी बापू बोले-जितना संस्कृत से उतना उर्दू से भी रिश्ता

जेएनएन, बरेली : शहर की तंग गलियों से गुजरकर मोरारी बापू शाम प्रोफेसर वसीम बरेलवी से मिलने उनके गढ़ैया स्थित आवास पहुंचे। जब उर्दू का जिक्र आया तो बोले, जितना संस्कृत, उतना ही उर्दू से भी रिश्ता है। भाषाएं मुहब्बत की गवाहहैं। बापू यहां शायरी में ऐसा खोये कि सवा घंटा यूं ही गुजर गया। उठते हुए बोले, मन नहीं भरा, अब बाकी कल सुनूंगा।

कुल्हड़ में चाय पीने के बाद मोरारी बापू ने पत्रकारों से भी भी बात की। तंग गालियों में आने पर बोले, बरेली के फकीर के घर आया हूं। उर्दू से लगाव पर कहा कि उपनिषद सिर्फ संस्कृत में नहीं उर्दू में भी हैं। जितना रिश्ता संस्कृत, उतना उर्दू से भी है। तमाम कोशिशों के बाद समाज में सुधार नहीं हो पाने पर कहा कि सुधारने के बजाय लोगों को स्वीकारने की जरूरत है। प्रोफेसर वसीम बरेलवी से कलाम सुनाने की गुजारिश की। वसीम साहब ने कहा-जमीं पर चांद कहां रोज-रोज उतरता है, तुम आ गए हो तो चांदनी सी बातें हो। अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाए कैसे, तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे। घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है, पहले तो यह तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे। शायरी का यह सिलसिला लंबा चला। इस दौरान डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. किरन अग्रवाल, एडीआरएम इज्जतनगर मनोज कुमार, अशोक गोयल, विभोर गोयल, वीरेंद्र स्वरूप, उमेश मेहरा एडवोकेट, कैफी बदायूंनी, अहमर हुसैन, रकीम इत्यादि मौजूद रहे। प्रोफेसर वसीम बरेलवी ने बापू को पेंटिंग भी भेट की। उन्हें इंसानियत का प्रचारक बताया।

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