पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से होगी निगरानी

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही यहां शिकारियों व तस्करों की धमक भी बढ़ी है। पीटीआर के बराही रेंज का कुछ हिस्सा नेपाल से सटा होने के कारण अराजक तत्व आसानी से इसमें प्रवेश कर जाते हैं लेकिन अब इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से उनकी निगरानी की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 05:07 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 05:07 AM (IST)
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से होगी निगरानी
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से होगी निगरानी

बरेली, अंकित शुक्ला: पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही यहां शिकारियों व तस्करों की धमक भी बढ़ी है। पीटीआर के बराही रेंज का कुछ हिस्सा नेपाल से सटा होने के कारण अराजक तत्व आसानी से इसमें प्रवेश कर जाते हैं, लेकिन अब इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से उनकी निगरानी की जाएगी। इस सिस्टम से कहीं भी बैठकर अधिकारी नेपाल बार्डर तक नजर रख सकेंगे। अभी विभाग ने टाइगर रिजर्व के बराही रेंज में कैमरे लगाए हैं। एक टावर और मूविग कैमरा लगाने में आठ से 10 लाख रुपये की लागत आती है। इसे और जगहों पर लगाने के लिए प्रस्ताव बनाया है। इसका कंट्रोल रूम डीएफओ पीटीआर कार्यालय में होगा। एक कैमरे में पांच किलोमीटर तक की गतिविधियां कैप्चर होती हैं।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर जावेद अख्तर ने बताया कि अब जंगल की निगरानी में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस का इस्तेमाल किया जा रहा है। बराही रेंज में इसका ट्रायल सफल रहा। इस सिस्टम को डीएफओ पीलीभीत के कार्यालय समेत टाइगर रिजर्व के अन्य अधिकारियों के कार्यालयों से जोड़ा गया है। कोई भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति अथवा जानवर कैमरे की रेंज में आएगा तो सर्विलांस सिस्टम खुद ही उसे कैप्चर कर लेगा।

73 हजार हेक्टेयर में फैला है पीलीभीत टाइगर रिजर्व

पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल वैसे तो पांच रेंज में बंटा है। इसमें बराही, माला, महोफ, हरीपुर और दियोरिया रेंज शामिल हैं। कुल वन क्षेत्र 73024.98 हेक्टेयर हैं। जबकि कोर क्षेत्र 60279.80 हेक्टेयर और बफर क्षेत्र 12745.16 हेक्टेयर है।

बाघों की संख्या के मुताबिक छोटा है घोड़े की नाल के आकार का बना टाइगर रिजर्व

पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोड़े की नाल के आकार में है। 60 किलोमीटर लंबे और 15 किलोमीटर चौड़े पीलीभीत के जंगल में बाघों का घनत्व बढ़ गया है। यहां पर बाघों की संख्या 65 से अधिक है। बाघों की बढ़ोतरी के लिए टीएक्स-टू-पुरस्कार भी इसे मिल चुका है।

नेपाल बार्डर की सीमा से जुड़ा है टाइगर रिजर्व का हिस्सा

जंगल का कुछ हिस्सा ऐसा है, जो बिल्कुल नेपाल बार्डर की सीमा से मिला हुआ है। जहां से तस्करों और शिकारियों के आने का खतरा अधिक रहता है। यह एरिया बराही रेंज में आता है। इसी रेंज में ट्रायल के तौर पर इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम लगाया गया है। इससे जंगल के उन संदिग्ध क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां से तस्करों और शिकारियों के आगमन का खतरा रहता है। ऐसे एरिया में सर्विलांस सिस्टम को लगाया जाएगा।

टावर पर लगा है मूविग कैमरा

टावर पर लगा मूविग कैमरा अपने चारों तरफ से पांच किलोमीटर एरिया तक कवर करेगा। बराही रेंज में जो टावर लगा है, उसका ट्रायल सफल रहा। इस रेंज के एक तालाब के अंदर शिकारियों ने मछली पकड़ने वाला जाल डाला था। जिसको सिस्टम ने पकड़ लिया और तस्वीर कैप्चर होते ही मानीटरिग स्क्रीन पर दिखाई देने लगी। इसके बाद उस जाल को वहां से हटाया गया।

वर्जन

इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से पीटीआर की निगरानी की जा रही है। अभी फिलहाल एक सिस्टम ही लगा है। जल्द ही इसकी संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।

- जावेद अख्तर, डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व

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