Modi Cabinet Expansion : भूमिकाएं बदलती रहीं, मंत्रीमंडल में बने रहे संतोष
Modi Cabinet Expansion पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की सियासत के बड़े चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का नाम प्रमुख माना जाता है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ तो संतोष गंगवार ने इस्तीफा दे दिया।
बरेली, जेएनएन। Modi Cabinet Expansion : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की सियासत के बड़े चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का नाम प्रमुख माना जाता है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ तो संतोष गंगवार ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बरेली से रुहेलखंड से राजनीति की धुरी होने का रुतबा तो छिना ही साथ ही संतोष के भविष्य को लेकर भी अटकलें तेज हो गई। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्षेत्र में पिछड़ी जाति के वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी दे सकती है।
1989 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने और जीतने के बाद संतोष लगातार सांसद बनते रहे। 2009 में उन्हें मामूली अंतर से हार मिली, लेकिन इसके अगले 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर जीत हासिल की। इसके बाद 2019 के चुनाव में जीत हासिल कर वह अब तक सबसे ज्यादा आठ बार सांसद बनने वाले व्यक्ति बने। बताते हैं कि राजनीति की शुरुआत से लेकर अब तक संतोष हमेशा संगठन और सरकार के चहेतों में शामिल रहे। इसके चलते ही उन्हें संगठन और सरकार में अहम जिम्मेदारी मिलती रही।
केंद्र में जब भाजपा की सरकार आई तो उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। 1998-99 में आई अटल बिहारी वाजपेई की सरकारा में वह केंद्रीय राज्य मंत्री, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस बने। इसके बाद 1999 में चुनाव जीतकर सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की जिम्मेदारी संभाली। वह 1999 से 2003 तक केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री रहे। 2003 सितंबर में मंत्रीमंडल में हुए फेरबदल में उन्हें भारी उद्योग और लोक उद्योग का केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद जब वह 2009 का चुनाव हारे तो राजनीतिक समझ रहे थे कि उनका कैरियर अब खत्म हो गया।
लेकिन अगले 2014 के चुनाव में उन्हें फिर भाजपा ने उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में वस्त्र मंत्रालय ओर जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्यमंत्री बनाया गया। वहीं 2017 में फेरबदल के दौरान उन्हें केंद्रीय मंत्री वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद 2017 से अब तक वह केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्रम और रोजगार मंत्रालय संभाल रहे थे।
संतोष गंगवार के अब तक के सफर में जिम्मेदारियां तो कई बार बदलीं लेकिन वह केंद्र में हमेशा रहे। बुधवार को उनके इस्तीफे के बाद अब राजनीतिक पंडितों में चर्चा है कि उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल या संगठन में कोई अहम भूमिका दी जा सकती है।