ऑनलाइन सुनेंं उर्स, तीन परचम निकालने की तैयारी शुरू, यहां देखें ऑनलाइन उर्स सुनने के लिंक

Urs of Tajushshariya जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि बुधवार को पहले रोज़ दरगाह ताजुश्शरिया पर बाद नमाज़-ए-फज़र कुरान ख्वानी व नात-व-मनकबत की महफिल सजी। शाम को नमाज़-ए-असर परचम कुशाई की रस्म अदा होनी है। पहला परचम मिलन शादी हाल से निकालने की तैयारी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 01:35 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 01:35 PM (IST)
ऑनलाइन सुनेंं उर्स, तीन परचम निकालने की तैयारी शुरू, यहां देखें ऑनलाइन उर्स सुनने के लिंक
पहला परचम सय्यद कैफी के निवास शाहबाद स्थित मिलन शादी हाल से निकालने की तैयारी की जा रही है।

बरेली, जेएनएन। Urs of Tajushshariya : जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि बुधवार को पहले रोज़ दरगाह ताजुश्शरिया पर बाद नमाज़-ए-फज़र कुरान ख्वानी व नात-व-मनकबत की महफिल सजी। शाम को नमाज़-ए-असर परचम कुशाई की रस्म अदा होनी है। पहला परचम सय्यद कैफी के निवास शाहबाद स्थित मिलन शादी हाल से निकालने की तैयारी की जा रही है। दूसरा परचम मोहम्मद साजिद आज़मनगर स्थित हरी मस्जिद से और तीसरा परचम फहमी तहसीनी के निवास सैलानी स्थित हुसैन चौक से निकालकर काजी-ए-हिंदुस्तान के हाथों दरगाह ताजुश्शरिया पर पेंश किया जाना है। रात में नमाज़-ए-ईशा दरगाह ताजुश्शरिया पर मिलाद-ए-पाक की महफिल सजनी है।

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ताजुश्शरिया ने सुन्नी मुसलमानों को दिया इल्म का खजाना : सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के सबसे बड़े मजहबी रहनुमा ताजुश्शारिया हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खां उर्फ (अज़हरी मियां) ने दुनिया भर के सुन्नी मुसलमानों को इल्म का खजाना दिया। जो आज पुरी दुनिया उन्हे हुजूर ताजुश्शरिया के नाम से जानती है। मरकाजी दारुल इफ्ता के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने बताया कि अल्लाह जब किसी व्यक्ति से दीनी काम लेना चाहता है तो उसको अच्छे विचारो का मालिक बना देता है। ऐसे एतिहासिक लोगो में हुज़ूर ताजुश्शारिया भी शामिल है।

आपने अपने 75 वर्षीय जीवन काल में लाखों लोगों को अच्छे विचारों से अवगत कराया। आप केवल हिन्दुस्तान ही नहीं। बल्कि पूरी इस्लामी दुनिया के रहनुमाओं में से एक थे। आपने जामिया अज़हर मिस्र में ऊंची शिक्षा प्राप्त की थी। आपको अंग्रेज़ी, उर्दू, हिंदी, फारसी, पंजाबी, माराढी, बंगाली, गुजराती व अन्य 11 भाषाओं मे महारत हासिल थी। आपने अपने पर दादा आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमा की बहुत सी किताबों का अंग्रेज़ी, अरबी और उर्दू में अनुवाद किया है। इस्लामिक क़ानून बयान करने के लिए आपने प्रश्न की भाषा का विशेष ध्यान रखा है।

इसी लिए जब आपसे साऊथ अफ्रीका में किसी व्यक्ति ने अंग्रेज़ी भाषा में प्रश्न किया तो आपने उसका उत्तर विस्तार के साथ अंग्रेज़ी भाषा ही में दिया। आपकी महारत हदीस तफसीर और इल्मुल औकात आदि से प्रसन्न होकर मिस्र जामिया अज़हर के महान व्यक्तियों ने आपको फ़खरे अज़हर अवार्ड से सम्मानित किया। आपने 61 से ज्यादा किताबें लिखी है।

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