नगर निगम में शामिल 48 गांवों की सपत्ति हो गई लापता, नगर निगम ने फिर से शुरु कराया भौतिक सत्यापन
नगर निगम क्षेत्र में कई साल पहले शामिल हुए गांवों की सरकारी संपत्तियां लापता हो गई हैं। नगर निगम में इन गांवों की तालाब भूमि समेत अन्य संपत्तियों की फाइलें नहीं मिल रही हैं। ऐसे में अधिकारियों ने नए सिरे से इन गांवों का सत्यापन शुरू करवाया है।
बरेली, जेएनएन। नगर निगम क्षेत्र में कई साल पहले शामिल हुए गांवों की सरकारी संपत्तियां लापता हो गई हैं। नगर निगम में इन गांवों की तालाब, भूमि समेत अन्य संपत्तियों की फाइलें नहीं मिल रही हैं। ऐसे में अधिकारियों ने नए सिरे से इन गांवों का सत्यापन शुरू करवाया है। पहले चरण में 16 गांवों में हुए सत्यापन में पांच गांवों की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। 11 गांवों का सत्यापन चल रहा है। अब तक के सत्यापन में चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आई है। गांवों की सरकारी भूमि पर पक्के निर्माण हो गए हैं, या उन पर खेती की जा रही है।
करीब 15 साल पहले नगर निगम की सीमा का विस्तार करते हुए इसमें आसपास के 48 गांवों को शामिल किया गया था। इन गांवों में तालाब, बंजर, ग्रीन बेल्ट, मछली पालन की जगह आदि दी गई थी। नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण इन जमीनों की निगरानी नहीं हो सकी। भूमियों, तालाबों, ग्रीन बेल्ट के क्षेत्रों पर भी कब्जे होते चले गए। बीते दिनों जब अपर नगर आयुक्त ने संपत्तियों के दस्तावेज मांगे तो नगर निगम में फाइलें नहीं मिली। इन 48 गांवों की जमीनें कहां लापता हो गई, इसे तलाशने के लिए नगर निगम ने फिर एक बार भौतिक सत्यापन शुरू करवाया है। सत्यापन में गांवों में संपत्तियां मिलने लगी हैं।
चार साल पहले भी हुआ था सर्वे
वर्ष 2016 में तत्कालीन महापौर डॉ. आइएस तोमर ने नगर निगम का लैंड बैंक तैयार करने के लिए इन गांवों में सर्वे कराया था। इसके बाद कई गांवों में सरकारी भूमि पाई गई। कई गांवों में जमीनों पर पक्का कब्जा मिला तो कई जगह ग्रामीणों की फसलें लहराती हुई मिलीं। कान्हा उपवन केंद्र की भूमि भी उसी दौरान पाई गई।
पांच गांवों का पूरा हुआ सत्यापन
सीबीगंज के गांव गोकुलपुर में सात जगहों पर अलग-अलग जमीन है। इनमें से बहुत सी जमीन पर खलियान, कुछ पर पार्क, रास्ता, चाहरदीवारी, मछली पालन किया जा रहा है। गांव हैदराबाद उर्फ खड़ौआ में पांच जगह भूमि है। यहां पर भी खेती, मछली पालन हो रहा है। गांव परसाखेड़ा में छह जगहों पर निगम की सरकारी संपत्ति है। यहां कुछ जमीन पर खेती हो रही है। गांव बैनीपुर चौधरी में दो जगह पर जमीन है। कुछ पर तालाब है तो कुछ जगह पर कब्जा भी है। गांव हरूनगला में दो जगह सरकारी भूमि है। लोगों ने गेट और रास्ता बना लिया है। अतिक्रमण काफी है।
अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह नगर निगम के पास 48 गांवों की सरकारी संपत्तियों का ब्योरा नहीं है। इसलिए वहां दोबारा सत्यापन कराया जा रहा है। पहले चरण में पांच गांवों का सत्यापन किया गया है। 11 गांवों का सत्यापन हो रहा है। निगम की सारी संपत्तियां मिलने के बाद उस पर से कब्जा हटाया जाएगा।