कृष्णकांत निकला मास्टरमाइंड, दिल्ली मे ली थी ट्रेनिंग

फर्जी कॉल सेंटर का मास्टरमाइंड बदायूं जिला में इस्लाम नगर निवासी कृष्णकांत गुप्ता निकला। उसने सम्भल के फर्जी पते का आधार कार्ड भी बनवा रखा था। गुरुवार को उसे जेल भेजा जाएगा। जबकि कॉल सेंटर संचालक प्रशांत सिंह राघव निवासी पंवासा बहजोई सम्भल को पुलिस ने जांच के लिए भेज दिया है। गैंग के फरार सदस्य सुमित और सुधीर की तलाश में पुलिस अभी दबिश दे रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 02:24 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:07 AM (IST)
कृष्णकांत निकला मास्टरमाइंड, दिल्ली मे ली थी ट्रेनिंग
कृष्णकांत निकला मास्टरमाइंड, दिल्ली मे ली थी ट्रेनिंग

बरेली, जेएनएन : फर्जी कॉल सेंटर का मास्टरमाइंड बदायूं जिला में इस्लाम नगर निवासी कृष्णकांत गुप्ता निकला। उसने सम्भल के फर्जी पते का आधार कार्ड भी बनवा रखा था। गुरुवार को उसे जेल भेजा जाएगा। जबकि कॉल सेंटर संचालक प्रशांत सिंह राघव निवासी पंवासा बहजोई सम्भल को पुलिस ने जांच के लिए भेज दिया है। गैंग के फरार सदस्य सुमित और सुधीर की तलाश में पुलिस अभी दबिश दे रही है। दिल्ली के कॉल सेंटर में ठगों से हुई मुलाकात

इंस्पेक्टर बारादरी ने बताया कि कृष्णकांत गुप्ता ने बीसीए की पढ़ाई की है। उसे वेब डिजाइनिग अच्छे से आती है। वह 2015 में नौकरी की तलाश में दिल्ली गया था, जहां एक कॉल सेंटर में जॉब के दौरान उसकी कुछ ठगों से मुलाकात हुई। ठगों ने मोटी कमाई का लालच दिया तो उसने ठगी की ट्रेनिग ली और 2016 में बरेली आ गया। डीडीपुरम में खोला था पहला कॉलसेंटर

बरेली में कृष्णकांत ने पहला कॉलसेंटर डीडीपुरम में खोला। फिर जगह बदलकर सेंटर खोलता रहा। प्रशांत राघव, सुधीर ने भी कृष्ण कांत से ठगी की ट्रेनिग ली थी। उन्हें दिल्ली भी ट्रेनिग लेने भेजा था। वापस आकर उन्होंने अपना सेंटर खोल लिया था। लॉकडाउन में सेंटर किया बंद, अनलॉक में तीन हजार से ठगी

कोरोना संक्रमण फैलने पर लॉकडाउन हुआ तो सेंटर बंद कर दिया था। अनलॉक होने के बाद अब तक एक सेंटर से तीन हजार बेरोजगारों से ठगी कर चुके थे। इंटरव्यू में भांपते थे ठगी की रकम

नौकरी के लिए टेलीफोनिक इंटरव्यू कृष्णकांत करता था। वह गूगल पर इंटरव्यू के लिए सवाल सर्च कर लेता था। जिससे पीड़ित को लगता था कि उसका कोई अधिकारी इंटरव्यू ले रहा है। वह पहले तो इंटरव्यू में युवाओं को फेल कर देता था। फिर पास करवाने के नाम पर रुपये ऐंठता था। वह इंटरव्यू में भांप लेता था कि किससे कितनी रकम ठगनी है। फर्जी एकाउंट और सिम उपलब्ध कराता था सुधीर

ठगी के बाद एकाउंट में रकम डलवाने के लिए शातिर उसी जगह की बैंक का आइएफएससी कोड देते थे। जहां की कंपनी का सेलेक्शन दिखाते थे। सुधीर अलग-अलग फर्जी बैंक एकाउंट का इंतजाम करता था। वही फर्जी सिम उपलब्ध कराता था, इसके लिए वह सिम लेने वाले शख्स का मशीन में दो बार अंगूठा बहाने से लगवा लेता था। लखनऊ तक फैला था ठगी का नेटवर्क

इंजीनियर आदि को फंसाने के लिए कृष्णकांत लखनऊ निवासी धीरज को इंटरव्यू ट्रांसफर कर देता था। वह अपने एकाउंट में रकम डलवाता था तो 30 फीसद कमीशन लेता था। 15 दिन में बदल देते थे सिम और मेल

ठगी करते हुए पकड़े न जाए इसलिए 15 दिनों में ईमेल और सिम बंद कर देते थे। सारे रिकार्ड भी जला देते थे। ठगी करने के लिए जॉब साइट्स पर अप्लाई करने वाले बेरोजगारों का डाटा खरीदते थे। पांच हजार रुपये में 15 हजार लोगों का डाटा खरीदते थे। इसकी मदद से देश के दूसरे राज्यों के युवाओं को ठगते थे। वह उत्तराखंड और यूपी में ठगी नहीं करते थे।

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कृष्णकांत से पूछताछ की जा रही है। जल्द ही गैंग के दो अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।

-शितांशु शर्मा, इंस्पेक्टर बारादरी

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