जानिए हाई ब्लड प्रेशर की दवा से अब क्यों नहीं आएगी सुस्ती Bareilly News

हाई ब्लड प्रेशर आम समस्या हो चली है। इससे ग्रसित मरीजों के लिए मौजूदा समय में जो दवाइयां प्रयोग में लाई जा रही हैं उनमें कुछ साइड इफेक्ट भी हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 09:58 AM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 05:51 PM (IST)
जानिए हाई ब्लड प्रेशर की दवा से  अब क्यों नहीं आएगी सुस्ती Bareilly News
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हिमांशु मिश्र, बरेली : हाई ब्लड प्रेशर आम समस्या हो चली है। इससे ग्रसित मरीजों के लिए मौजूदा समय में जो दवाइयां प्रयोग में लाई जा रही हैं उनमें कुछ साइड इफेक्ट भी हैं। शिकायत रहती है कि दवा खाने के बाद सबसे बड़ी समस्या सुस्ती और गला सूखने की होती है। इन दोनों समस्या का हल रुहेलखंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. एसके पांडेय ने खोज निकाला है। मतलब जल्द ही बाजार में ऐसी दवाइयां होंगी जो कम मात्रा में खाने के बाद ब्लड प्रेशर पर काबू तो पाएंगी साथ में सुस्ती और गला सूखने जैसी समस्या भी नहीं पनपने देगी। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। इंटरनेशनल मेडिसिनल केमिस्ट्री रिसर्च ने इस शोध को पूरी दुनिया के लिए प्रकाशित किया है।

एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में केमिस्ट्री विभाग के डीन प्रो. एसके पांडेय बताते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर के कई कारण होते हैं। इसमें एक प्रमुख है ऐंजियोटेन्सिन कनवर्टिंग एंजाइम। यह रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। इसके अत्यधिक क्रियाशीलता के कारण पेप्टाइड तैयार हो जाता है और इसी के चलते हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी उत्पन्न हो जाती है। इसे काबू में रखने के लिए मरीज को नियमित दवाइयां खानी पड़ती है। 1980 में इसके लिए सबसे पहले कैप्ट्रो पिल दवा बनाई गई थी जिसे आज तक कई बार अपडेट किया जा चुका है। अब इस नए शोध से एक बार फिर इसे बेहतर बना दिया जाएगा।

ऐसे एमिनो एसिड दूर करेगा सुस्ती : प्रो. एसके पांडेय बताते हैं कि उन्होंने एमिनो एसिड की मदद से शोध किया। लैब टेस्टिंग में सफलता हासिल हो चुकी है। एमिनो एसिड ऐंजियोटेन्सिन कन्वर्टिंग एंजाइम के अधिक क्रियाशीलता को बंद कर देती है। इससे ब्लड प्रेशर काबू में आ जाता है। प्रो. पांडेय के मुताबिक इसके परिणाम काफी सकारात्मक आए हैं। यही कारण है कि अमेरिका की प्रतिष्ठित एडवांस इन मेडिसिन एंड बायोलॉजी किताब में भी इसे एक अलग चैप्टर का रूप दे दिया गया है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इस शोध को सफल बताया है। अब इसे अंतिम रूप देने पर काम चल रहा है।  

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