जानिए बरेली में श्मशान व्यवस्थापकाें ने क्याें उठाया 350 आत्माओं की मुक्ति का जिम्मा, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

Bareilly Cremation Administrators News हिंदू पंरपरा के अनुसार मरने के बाद तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है जब उसके (फूल) अस्थियां गंगा या किसी पवित्र नदी में बहा दिए जाएं। लेकिन कोरोना काल में ऐसा दृश्य देखना पड़ेगा शायद कभी किसी ने ऐसा ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 05:10 PM (IST)
जानिए बरेली में श्मशान व्यवस्थापकाें ने क्याें उठाया 350 आत्माओं की मुक्ति का जिम्मा, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
जानिए बरेली में श्मशान व्यवस्थापकाें ने क्याें उठाया 350 आत्माओं की मुक्ति का जिम्मा, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

बरेली, जेएनएन। Bareilly Cremation Administrators News :हिंदू पंरपरा के अनुसार मरने के बाद तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है, जब उसके (फूल) अस्थियां गंगा या किसी पवित्र नदी में बहा दिए जाएं। लेकिन, कोरोना काल में ऐसा दृश्य देखना पड़ेगा, शायद कभी किसी ने ऐसा ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा। महीने भर से अधिक हो गया है। पर, स्वजन श्मशान में फूल चुनने ही नहीं आ रहे हैं। श्मशान में व्यवस्थापकों का कहना है कि सप्ताह भर बीत जाने के बाद परिवार के सदस्यों को अस्थियां ले जाने के लिए कह रहे हैं। मगर, कोई आने को तैयार नहीं हो रहा हैै। ये कोविड शवों की अस्थियां हैं। जो लंबे समय से श्मशान में ही कर्मचारियों ने बीन कर रखी हैं।

श्मशान कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि कोविड शव के स्वजन मृत्यु प्रमाण पत्र लेने तो आ रहे हैं। लेकिन, अस्थियां लेने के नाम पर टालमटोली कर रहे हैं। जबकि उन्हें फोन कर बार-बार फूल ले जाने के लिए याद दिला रहे हैं। अमूमन लोग यह कहकर पीछा छूटा रहे हैं कि खुद ही गंगा में विसर्जित कर दो। वहीं, दूसरी ओर सामान्य शवों की अंत्येेष्टि कर स्वजन दो से तीन दिन के भीतर अस्थियां ले जा रहे हैं।

कछला नदी में होगा फूलों का विसर्जन

सिटी श्मशान भूमि में प्रभारी त्रिलोकी नाथ ने बताया कि अस्थियां को रखेे हुए महीनेे भर से अधिक हो गया है। काफी इंतजार के बाद अब गुरूवार कछला जाकर अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा। ताकि आत्मा को शांति और परमगति मिल सके।

जगह नहीं तो अब कट्टों में भरी जा रहीं अस्थियां

संजयगर, सिटी स्टेशन और गुलाबबाड़ी स्थित श्मशान भूमि में आलम यह है कि अस्थियां स्थल में अब इन्हें रखने की जगह ही नहीं बची है। ऐसे में मजबूरन फूलों को बीन कर उन्हें कट्टे में भर कर रखा जा रहा है।

350 से अधिक आत्माओं को मुक्ति का इंंतजार

शहर की तीनों ही श्मशान भूमि में करीब 350 से अधिक कोविड शवों की अस्थियां अपनों के इस इंतजार में राह ताक रहीं हैं कि कोई अपना आकर उन्हें मुक्ति दिला दे। बता दें कि सिटी श्मशान भूमि 150 कोविड शवों की अस्थियां, संजयनगर श्मशान भूमि में सौ और गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि में करीब 90 शवों की अस्थियां रखीं हैं। 

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