Pandit Radheshyam Birthday : जानिए भारतीय सिनेमा के इस फिल्मकार का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते तो क्या होते पंडित राधेश्याम कथावाचक
Pandit Radheshyam Birthday हिंदी में रामायण के रचयिता अनेक लोकप्रिय नाटकों के लेखक पं. राधेश्याम कथावाचक को अपने कुशल नाट्य-निर्देशन के कारण भी देश में काफी ख्याति मिली थी। बरेली के बिहारीपुर मुहल्ले में 25 नवंबर 1980 को जन्मे पंडित राधेश्याम फिल्मी दुनिया में भी बहुत सफल हुए थे।
बरेली, दीपेंद्र प्रताप सिंह। Pandit Radheshyam Birthday : हिंदी में रामायण के रचयिता, अनेक लोकप्रिय नाटकों के लेखक पं. राधेश्याम कथावाचक को अपने कुशल नाट्य-निर्देशन के कारण भी देश में काफी ख्याति मिली थी। बरेली के बिहारीपुर मुहल्ले में 25 नवंबर 1980 को जन्मे पंडित राधेश्याम पारसी थियेटर में प्राप्त अपने बहुविध अनुभवों के कारण वे फिल्मी दुनिया में भी बहुत सफल हुए थे। उन्होंने बोलती हिंदी फिल्मों के शुरुआती दौर में वर्ष 1931 में ''शकुंतला'' फिल्म के संवाद और गीत लिखे थे। यह फिल्म हिट हुई थी। पंडित जी द्वारा लिखित गीत ''आए सखी री फागुन के दिन, फूली है कैसी ये बगिया आज'' बहुत लोकप्रिय हुआ था।
इसके बाद उन्होंने सन् 1933 में ''श्रीसत्यनारायण'' फिल्म की पटकथा और गीत लिखे। सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री लीला चिटनिस इस सफल फिल्म की नायिका थीं। कथावाचक जी द्वारा लिखित संवादों को जनता ने काफी पसंद किया था। वर्ष 1960 तक कई हिंदी फिल्मों से जुड़े रहे। साहित्यकार व इतिहासकार रणजीत पांचाले पंडित राधेश्याम कथावाचक के जन्मदिवस पर उनसे जुड़ी ऐसी कई जानकारी से रूबरू कराते हैं। एक रिपोर्ट...।
पृथ्वीराज कपूर से लेकर के एल सहगल तक थे मधुर संंबंध
कथावाचक पंडित राधेश्याम के हिंदी फिल्म जगत की कई हस्तियों से अच्छे संबंध थे। इनमें अभिनेता सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर, अभिनेत्री जहांआरा कज्जन, निर्माता-निर्देशक हिमांशु राय, केदारनाथ शर्मा, वी.शांताराम, जे जे मदान, संगीतकार बृजलाल और गायक कुंदन लाल सहगल के नाम शामिल हैं। हिमांशु राय चाहते थे कि कथावाचक उनकी ‘बाम्बे टाकीज’ फिल्म कंपनी से बतौर लेखक जुड़ जाएं।
यह उनके लिए एक सुनहरा अवसर था। यदि वे उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लेते तो सिने दुनिया में एक महान फिल्मकार के रूप में अपनी वैसे ही छाप छोड़ते जैसी उन्होंने नाट्य जगत में छोड़ी थी। लेकिन पंडितजी फिल्मी दुनिया में रहने के विशेष इच्छुक नहीं थे। इस लाइन में स्त्री-पुरुषों के अनैतिक आचरण को देखकर वे इससे जल्दी दूर चले जाना चाहते थे। इसीलिए फिल्म जगत से उनका जुड़ाव सीमित अवधि के लिए ही रहा।
इन फिल्मों में रहा विशेष योगदान
पंडित राधेश्याम की लिखित कथा पर फिल्म ''ऊषा हरण'' 1940 में बनी थी। इसमें अभिनेता मुबारक और अभिनेत्रियां सुल्ताना तथा सितारा देवी थीं। सोहराब मोदी द्वारा 1953 में निर्मित फिल्म ''झांसी की रानी'' के लिए आठ गीत पं. राधेश्याम कथावाचक ने लिखे थे जिनमें ''अमर है झांसी की रानी'', ''हमारा प्यारा हिंदुस्तान'', ''बढ़े चलो बहादुरो'' प्रमुख गीत थे। आठों गीतों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड बने थे।
फिल्म निर्देशक शांति कुमार ने 1957 में एक फिल्म ''कृष्ण सुदामा'' बनाई थी। इसके गीतकार कमर जलालाबादी और पं. राधेश्याम कथावाचक थे। पंडित जी द्वारा लिखित इस फिल्म का गीत ''रतन हैं दो अनमोल हमारे, उधर सुदामा इधर कन्हैया'', महान भारत के दो दुलारे, इधर सुदामा उधर कन्हैया'' काफी लोकप्रिय हुआ था। पंडित जी द्वारा लिखित कथा पर बनी अंतिम फिल्म ''श्रवण कुमार'' थी जिसका निर्देशन शरद देसाई ने किया था। वर्ष 1960 में बनी यह फिल्म सुपर हिट हुई थी।