करवा चौथ : जानिए कैसे मिल रही सालों से चल रही अनूठी परंपरा को सरहद से नई पहचान Bareilly News

बरेली के मॉडल टाउन स्थित हरि मंदिर में करवा चौथ पर एक बेहद अनूठी परंपरा सालों से चला रही है। वह है सामूहिक करवा चौथ पूजा की।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 09:14 AM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 05:46 PM (IST)
करवा चौथ : जानिए कैसे मिल रही सालों से चल रही अनूठी परंपरा को सरहद से नई पहचान Bareilly News
करवा चौथ : जानिए कैसे मिल रही सालों से चल रही अनूठी परंपरा को सरहद से नई पहचान Bareilly News

जेएनएन, बरेली : करवा चौथ... पति की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए मनाया जाने वाला त्योहार। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। अमूमन, देश भर में करवा चौथ पर्व का उल्लास घरों तक सीमित रहता है। यानी सुहागिन स्त्रियां परिवार की अन्य महिलाओं के साथ घरों में ही पूजा-पाठ आदि करती हैं। लेकिन बरेली के मॉडल टाउन स्थित हरि मंदिर में करवा चौथ पर एक बेहद अनूठी परंपरा सालों से चला रही है। वह है सामूहिक करवा चौथ पूजा की। करवा चौथ को यह नई पहचान मिली सरहद पार से आकर बसे लोगों से। इसका अनुसरण करते हुए अब अन्य जगहों पर भी सामूहिक करवा चौथ पूजा का आयोजन किया जाने लगा है। आइए, जानते कैसे और कब पड़ी इस अनूठी परंपरा की नींव।

1947 में बंटवारे के बाद शुरू हुई परंपरा

हरि मंदिर के सचिव एवं मॉडल टाउन सोसायटी के अध्यक्ष रवि छाबड़ा ने बताया कि 1947 में जब देश आजाद हुआ तो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के चलते सरहद पार रहने वाले दर्जनों पंजाबी परिवार वहां से बरेली आकर बस गए। पाकिस्तान से आए परिवारों को यहां रेफ्यूजी कॉलोनी में सस्ते दामों में जमीन देकर बसाया गया, जो वर्तमान में मॉडल टाउन के नाम से जानी जाती है। करवा चौथ पंजाबियों का प्रमुख त्योहार है। बंटवारे के बाद उस वक्त सरहद पार से आए कुछ पंजाबी परिवारों ने सामूहिक रूप से करवा चौथ मनाई। जिसने धीरे-धीरे सामूहिक करवा चौथ पूजा का रूप ले लिया। तब से अब तक हर साल हरि मंदिर में करवा चौथ पर इसी तरह सामूहिक रूप से भव्य आयोजन होता है।

एक हजार से ज्यादा महिलाएं करती है पूजा

रवि छाबड़ा बताते हैं, आजादी के कुछ सालों बाद तक मुहल्ले के कुछ परिवारों की महिलाएं ही सामूहिक पूजा करती थी, लेकिन बाद में साल-दर-साल रेफ्यूजी कॉलोनी में रहने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती चली गई। पिछले कुछ सालों में परंपरा और भी बढ़ गई है। अब तो मॉडल टाउन के अलावा शहर के दूसरे मुहल्लों की भी महिलाएं मंदिर में पूजा करने आती है। एक हजार से अधिक महिलाएं करवा चौथ वाले दिन पूजा करने के लिए मंदिर आती हैं।

शाम चार बजे से रात तक चलता है आयोजन

करवा चौथ पर मंदिर में शाम चार बजे से कथा व पूजा का आयोजन शुरू हो जाता है। जो रात को मंदिर बंद होने तक चलता रहता है। इस दौरान सुहागिन महिलाएं मंदिर के हॉल में समूह बनाकर विधि-विधान से पूजा करती है। रात तक समूह में पूजा का दौर चलता रहता है।

रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगता है हरि मंदिर

करवा चौथ पर सामूहिक पूजा के लिए मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से भव्य तरीके से सजाया जाता है। मंदिर परिसर में भी सुहागिन महिलाओं के पूजा करने के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर के पुजारी आने वाली महिलाओं को व्रत की कथा सुनाते हैं।

शहर में अन्य जगहों पर होने लगे ऐसे आयोजन

हरि मंदिर में करवा चौथ पर सामूहिक पूजा की परंपरा का समय के कई सामाजिक संस्थाओं ने भी अनुसरण किया। वहां भी इसी तरह से सामूहिक पूजा के आयोजन होने लगे हैं। सनातन धर्म मंदिर समेत शहर की अन्य कॉलोनियों में भी करवा चौथ की इस अनूठी परंपरा की छाप आसानी से देखने को मिल जाएगी।  

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