पर्यावरण संरक्षण में कबाड़ की बोतल व मटका हरियाली में बने मददगार

पौधारोपण में अब पर्यावरण संरक्षण के साथ जल संरक्षण को भी प्रमुखता दी जा रही है वह भी कबाड़ की जुगाड़ से। वानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रभागीय वन अधिकारी ने भी इस विधि को प्रभावी

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 11:44 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 11:44 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण में कबाड़ की बोतल व मटका हरियाली में बने मददगार
पर्यावरण संरक्षण में कबाड़ की बोतल व मटका हरियाली में बने मददगार

शाहजहांपुर, जेएनएन। पौधारोपण में अब पर्यावरण संरक्षण के साथ जल संरक्षण को भी प्रमुखता दी जा रही है, वह भी कबाड़ की जुगाड़ से। वानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रभागीय वन अधिकारी ने भी इस विधि को प्रभावी बनाया है। खास बात यह है कि कबाड़ की बोतल व मिट्टी की मटका को पौधे के किनारे मिट्टी में पानी भरकर दबा देने से पौधों को जरूरी नमी मिलती रहती है। पानी भी लंबे अंतराल पर देना पड़ता है। इससे पानी की भी बचत होती है, कबाड़ का भी सदुपयोग हो जाता और अपेक्षित नमी से पौधे भी संरक्षित रहते हैं। प्रभागीय वन अधिकारी डा. आदर्श कुमार ने छावनी क्षेत्र में इस विधि से सैकड़ों पौधे लगवाए। आमजन भी कबाड़ की हरियाली में कबाड़ की जुगाड़ अपनाने लगे है।

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विशेष वन मोहेंगे मन

पहली बार पौधारोपण में विशेष विकास की योजना बनी है। जनपद की पांच रेंज है। इनमें गंगा से लेकर गोमती के किनारे तक एक ही जगह पर तीन तरह के विशेष वन विकसित किए जाएंगे। फलदार वन में आम, नीबू, संतरा, मौसम्मी, कटहल, चीकू, अमरूद आदि सभी तरह के फलदार पौधे लगेंगे। पास में ही औषधीय बन होगा। इस वन सभी तरह की आंवला, हर्र, बहेड़ा, सहजन समेत जड़ी बूटियां मिल सकेगी। इमारती वन में शीशम, सागौन सरीखे पौधे लगाने की तैयारी की गई है।

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42 लाख से धरा का श्रृंगार

पांच जुलाई को हरियाली का नया इतिहास बनेगा। वन विभाग ने एक ही दिन में 42 लाख पौधाे लगाने की योजना तैयार की है। इसके लिए गड्ढे खोदे जा चुके है। सभी विभागों को पौधे भी मुहैया करा दिए गए हैं। वन विभाग खुद 15.38 लाख पौधे लगाए। 

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