माता को नहीं बचा सका प्रभु, कहते हुए जटायु ने त्याग दिए प्राण

बरेली, जेएनएन : सीता हरण होने के बाद रावण पुष्पक विमान में लंका की तरफ उड़ता है। जटायु ने उसका रास्ता

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 03:18 AM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 03:18 AM (IST)
माता को नहीं बचा सका प्रभु, कहते हुए जटायु ने त्याग दिए प्राण
माता को नहीं बचा सका प्रभु, कहते हुए जटायु ने त्याग दिए प्राण

बरेली, जेएनएन : सीता हरण होने के बाद रावण पुष्पक विमान में लंका की तरफ उड़ता है। जटायु ने उसका रास्ता रोका, लेकिन रावण की कटार से घायल होकर गिर पड़ते है। सीता को खोजते हुए भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जंगल में जटायू से मिलते हैं।

जटायू कराहते हुए कहते हैं कि भगवन, माता सीता को बचाने का बहुत प्रयास किया। लेकिन असफल हो गया। मेरा जीवन व्यर्थ हो गया। दक्षिण दिशा में इशारा करते हुए जटायू बताते है कि माता को लेकर रावण इस दिशा में गया है। यह कहते हुए जटायू के जीवन का अंत हो जाता है।

सीता की खोज में निकले दशरथ नंदन राम और लक्ष्मण सबरी से मिलते है। झूठे बेर खाकर वह सबकी का उद्धार करते हैं। जंगल में हनुमान और सुग्रीव से मुलाकात होती है। सुग्रीव अपने बड़े भाई राजा बाली द्वारा अपनी पत्नी के छीने जाने की व्यथा सुनाते हैं। सुग्रीव के ललकारने पर बाली युद्ध के लिए आता है। भगवान श्रीराम बाली वध करके सुग्रीव की पत्नी उन्हें वापस दिलाते हैं। रामायण के प्रसंग चौधरी तालाब में आयोजित रामायण के मंचन में भक्तों को आनंदित करते हैं। यहां श्रीरानी महालक्ष्मी बाई रामलीला समिति के तत्वावधान में मंचन हो रहा है। गुरुवार को मंचन में राम सुग्रीव मित्रता, लंका दहन, अंगद रावण संवाद की लीला होंगी।

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