Jat Regiment Foundation Day : दुश्मनों से मोर्चा लेने के लिए रेजिमेंट में तैयार होते हैं जाट बलवान

Jat Regiment Foundation Day भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट का अपना अलग इतिहास है। इनमें अटूट बल व अद्भुत युद्ध कौशल की जीती जागती मिसाल और भारतीय सेना का महत्वपूर्ण अंग है जाट रेजिमेंट। जाट रेजिमेंट ने हर युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 07:03 AM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 07:03 AM (IST)
Jat Regiment Foundation Day : दुश्मनों से मोर्चा लेने के लिए रेजिमेंट में तैयार होते हैं जाट बलवान
226 साल का हुआ जाट रेजिमेंट, बरेली के सेंटर में दिया जाता है प्रशिक्षुओं को कड़ा प्रशिक्षण

बरेली, जेएनएन। Jat Regiment Foundation Day : भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट का अपना अलग इतिहास है। इनमें अटूट बल व अद्भुत युद्ध कौशल की जीती जागती मिसाल और भारतीय सेना का महत्वपूर्ण अंग है जाट रेजिमेंट। चाहे चीन से टक्कर हो या फिर पाकिस्तान के नापाक इरादों को धूल चटाना, जाट रेजिमेंट ने हर युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। ऐसे वीरों को बरेली के जाट रेजिमेंट सेंटर में तैयार किया जाता है। जाट रेजिमेंट वर्ष 1795 में ब्रिटिश राज के दौरान अस्तित्व में आई, हालांकि आजादी के बाद रेजिमेंट का स्वरूप काफी हद तक बदल गया। रेजिमेंट की 226 वीं वर्षगांठ पर जानते हैं इस रेजिमेंट से जुड़ी कुछ खास बात...।

कड़े प्रशिक्षण के बाद तैयार होते हैं जाट : जाट रेजिमेंट सेंटर (जेआरसी) में रिक्रूटों या प्रशिक्षुओं को 19 हफ्ते बेसिक और 15 हफ्ते एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है। कड़ा प्रशिक्षण देने के बाद इन्हें आम इंसान से अनुशासित जवान बनाया जाता है। प्रशिक्षु सुबह साढ़े तीन बजे उठकर पांच बजे तक मैदान में हल्की दौड़ से अभ्यास शुरू करते हैं। फिर रायफल, पिट्ठू समेत रोज महज दो फिट चौड़े टनल से गुजारा जाता है। रस्सी पर लटकते हुए नदी-नाले या खाई पार करने के साथ लंबी दूरी तक जाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यही नहीं, दस-दस फीट की खड़ी दीवार पर चढ़ाने के साथ एक दिन में चालीस किलोमीटर तक दौड़ाया जाता है। शुरू के चार हफ्तों में 6.4 किलोग्राम वजन (पिट्ठू और बंदूक) के साथ 16 किलोमीटर तक दौड़ कराई जाती है। वहीं, एडवांस ट्रेनिंग में पीठ पर वजन 22 किलोग्राम तक पहुंच जाता है।

सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार : जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है। इसकी 24 वाहिनियां हैं, यह सेना की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है। रेजिमेंट ने वर्ष 1839-1947 के बीच 19 और स्वतंत्रता के पश्चात आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना पदक जीते हैं। सन् 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों को नेस्तोनाबूद करने वाले महावीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन अनुज नैय्यर भी जाट रेजीमेंट से ही थे।

पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में भी शामिल था जाट रेजिमेंट : अपने 200 से अधिक वर्षों के जीवन में रेजिमेंट ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध सहित भारत और विदेशों में अनेक युद्धों में भाग लिया है। रेजिमेंट का आदर्श वाक्य ‘संघटन व वीरता’ है। वहीं युद्ध नारा (सिंहनाद) ‘जाट बलवान, जय भगवान’ है।

एक नजर में जाट रेजिमेंट

-1795 में बनी थी जाट रेजिमेंट

-152 साल ब्रिटिश राज में रही रेजिमेंट

-1947 के बाद से भारतीय रेजिमेंट में बदला स्वरूप

-24 वाहिनियां हैं जाट रेजिमेंट के अंतर्गत

-17 वीं बटालियन से थे महावीर चक्र विजेता कैप्टन अनुज नैय्यर

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