Jagran column : क्राइम रडार : कुछ चूहे पी गए, कुछ पुलिस Bareilly News

हरिवंश राय बच्चन की लिखी गई ‘मधुशाला’ की पंक्तियां इन दिनों बरेली के पुलिसकर्मियों के बीच खूब सुनी जा रहीं। इनमें कुछ मधुशाला के शौकीन हैं

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 17 Feb 2020 09:16 AM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 05:38 PM (IST)
Jagran column : क्राइम रडार : कुछ चूहे पी गए, कुछ पुलिस Bareilly News
Jagran column : क्राइम रडार : कुछ चूहे पी गए, कुछ पुलिस Bareilly News

अभिषेक पांडेय, बरेली : हरिवंश राय बच्चन की लिखी गई ‘मधुशाला’ की पंक्तियां इन दिनों बरेली के पुलिसकर्मियों के बीच खूब सुनी जा रहीं। इनमें कुछ मधुशाला के शौकीन हैं तो कुछ उसकी चर्चा और भावार्थ निकालने के माहिर। बीते दिनों हुए दो प्रसंगों ने मधुशाला को पुलिस के और करीब ला दिया। कैंट थाने के मालघर में सैकड़ों लीटर देशी शराब रखी गई थी, फिर अचानक गायब हो गई। सवाल उठे तो पुलिस वाले यह कहकर छूटे कि थाने में चूहे बहुत हैं। बर्बाद कर गए या पी गए होंगे। इज्जतनगर पुलिस ने भी पांच दिन पहले 42 बोतलें अंग्रेजी शराब बरामद हुई। बाद में पता चला कि मालखाना में वे बोतलें नहीं हैं। अफसरों ने पूछा तो कैंट थाने वाले चूहों का सहारा लेकर पीछा छुड़ा गए मगर इज्जतनगर वालों के पास जवाब नहीं था। दबी जुबान बस इतनी चर्चा होकर रह गई कि थोड़ी चूहे पी गए होंगे और थोड़ी पुलिस।

घर हमारा, गेस्ट हाउस भी हमारा 

पुलिस महकमे में इन दिनों अफसरों के ठाठ को लेकर चर्चाओं का दौर है। वह इसलिए ज्यादा तूल पकड़ रहा क्योंकि अफसरों को तो ठिकाना मिला हुआ है, सिपाही परेशान घूम रहे। फरियाद कर रहे कि उन्हें भी एक कमरा दिला लें मगर अफसर हैं कि टाल देते हैं। परेशान सिपाही चक्कर काटकर थक गए तो अफसरों की पोल खोलने में जुट गए। एक अफसर की कहानी बयां करने लगे। बोले कि सरकारी बंगला मिला हुआ है। इसके बावजूद गेस्ट हाउस पर भी कब्जा जमा लिया है। दो महीने वहीं डेरा जमाए रहते हैं। थोड़े दिन को सरकारी आवास जाते हैं, फिर गेस्ट हाउस पहुंच जाते हैं। बात निकली तो बड़े साहब तक भी पहुंच गई। उन्होंने फोन घुमाया और गेस्ट हाउस में कब्जा जमाने वाले साहब को हड़का दिया। उन्हें नसीहत मिली तो गेस्ट हाउस में रहने के दूसरे शौकीन भी सतर्क हो गए। वह आवास तलाशने लगे हैं।

वाटसएप से डर गई पुलिस 

कुछ समय पहले तक पुलिस विभाग के अफसर हों या सिपाही, वाट्सएप से बड़ा प्रेम करते थे। चेकिंग हो तो सारे ग्रुप में वीडियो-फोटो वायरल कर देते थे। गुडवर्क तो तभी पूरा माना जाता जब धरपकड़ की सूचना सैकड़ों लोगों तक पहुंच जाए। इस वाट्सएप प्रेम ने फंसा दिया। सर्राफ कमल किशोर हत्याकांड सीसी कैमरे में रिकॉर्ड हो गया था। उसका वीडियो कुछ पुलिसकर्मियों के फोन में गया और वहां से वायरल होते हुए मीडिया तक पहुंच गया। चैनलों पर लाइव मर्डर की फुटेज चलने लगीं तो लखनऊ में बैठे आला अफसरों ने यहां के अफसरों को तलब कर लिया। इसके बाद हालात कुछ यूं बने कि जिले के सबसे बड़े साहब ने तुरंत सभी अधीनस्थों को बुला लिया। सामने बैठाकर बोले, मेरे सामने सभी वाट्सएप ग्रुप से लेफ्ट हो जाओ, अभी तुरंत। बाद में एक-एक कर सभी के फोन चेक भी किए। अब महकमे वाले वाट्सएप से दूर हैं।

मर्जी वाली मुस्तैदी

पिछले सप्ताह कंट्रोल रूम में सूचना आई कि बरेली-दिल्ली रोड पर लूट के बाद कार से किसी को फेंका गया है। उसी वक्त रात बारह बजे सभी थानों की पुलिस को अलर्ट किया गया, चेकिंग के निर्देश दिए गए। साहब आदेश ही तो कर सकते हैं, पालन कैसे होगा यह तो अधीनस्थ ही तय करते हैं। सेटेलाइट चौराहा पर चेकिंग दो होमगार्डो के भरोसे थी। जिसका मन हुआ उनके इशारे पर रुक गया, बाकी निकलते चले गए। बिथरी चैनपुर थाना पुलिस नरियावल मोड पर चेकिंग कर रही थी। दर्जन भर से ज्यादा पुलिसकर्मी थे इसके बावजूद सिर्फ चंद वाहनों को रोककर चेक कर सके। एक वाहन के अंदर झांकते, तब तक आठ-दस निकल जाते। मूवमेंट कुछ ऐसे कि जिसे मर्जी होगी उसे रोक लेंगे, बाकी जाने दो। मुस्तैदी के निर्देश के बीच फास्ट पुलिसिंग का यह नजारा अजब ही था। यही वजह रही कि वो कार आज तक नहीं मिली। 

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