आइवीआरआइ का मोबाइल एप हल करेगा मुश्किल

्रभारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने किसानों और पशु पालकों के लिए एप जारी किया गया है

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 11:41 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 02:13 AM (IST)
आइवीआरआइ का मोबाइल एप हल करेगा मुश्किल
आइवीआरआइ का मोबाइल एप हल करेगा मुश्किल

जागरण संवाददाता, बरेली : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने किसानों और पशु पालकों को जागरूक करने के लिए पांच मोबाइल एप तैयार किए हैं। इनके जरिये पशुओं में परजीवी नियंत्रण, प्रजनन, डेयरी मैनेजमेट, कृत्रिम गर्भाधान और शूकर पालन आदि से जुड़े सवालों के जवाब मिलेंगे। दिक्कतों को दूर करने के लिए अधिकतर सवालों के जवाब और कोई रोग या परेशानी होने पर इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी है। सुविधा के लिए एप में ¨हदी पर खास ध्यान दिया गया है।

केवल एंड्रायड फोन के लिए एप

सूचना केंद्र प्रभारी डॉ. रूपसी तिवारी ने बताया कि आइवीआरआइ की मोबाइल एप केवल एंड्रायड फोन के लिए है। सभी को प्ले स्टोर में जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। यह एप पूरी तरह मुफ्त रहेंगे। इनका साइज भी करीब पांच एमबी तक ही है।

पशु प्रजनन : यह एप गाय व भैंसों में प्रजनन संबंधी समस्याओं व उनका समाधान करने के लिए बनाया गया है। एप में 12 समस्याएं जैसे पशु में गर्मी नहीं आना, अस्पष्ट मदकाल, गर्भाशय में ऐंठन, कठिन प्रसव, गर्भपात, गर्भाशय का बाहर निकलना, जेर का रुकना, गर्भाशय शोथ, संक्रामक गर्भपात, कैंपाइल बैक्टेरिओसिस तथा संक्रामक बोवाइन राइनोट्रेकिआइटिस आदि का हल है।

शूकर पालन : व्यावसायिक शूकर पालन को बढ़ावा देने के लिए, विद्यार्थियों, पशु चिकित्सकों व विभिन्न विकास संगठनों और उद्यमियों को वैज्ञानिक ज्ञान देने के लिए एप बना है। इस शैक्षिक एप में शूकर की नस्लों, उनके आवास, आहार, प्रजनन, रख-रखाव और स्वास्थ्य प्रबंधन की जरूरी जानकारी मिलती है। वहीं, प्रोजेक्ट के बारे में आर्थिक विश्लेषण व मूल्यांकन की जानकारी भी मिलेगी।

अन्य एप भी देते जानकारी

पशुओं में परजीवी नियंत्रण एप में बाह्यं परजीवी, पशुओं में अंत:परजीवी के बारे में विस्तार से जानकारी है। परजीवी पर नियंत्रण कैसे हो, इस बाबत भी बताया है। इसके अलावा डेयरी मैनेजर एप में बताया गया है कि किस तरह सफलता पाई जा जाती है। वर्जन

संचार क्रांति के युग में स्मार्ट फोन अब आम बात है। मोबाइल एप के जरिए किसान और पशुपालकों को ज्यादा से ज्यादा और जल्द शिक्षित किया जा सकता है। इसलिए मोबाइल एप तैयार कराई हैं।

- डॉ.राजकुमार सिंह, निदेशक, आइवीआरआइ

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