UP Assembly Election 2022 : बरेली कैंट विधानसभा सीट पर टिकट की दिलचस्प लड़ाई, पढ़ें टिकट न मिलने पर कौन कर सकता है बगावत

UP Assembly Election 2022 उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के साथ शुरू हुई टिकट की दौड़ बड़ी रोचक होती जा रही है।दावेदार के तौर पर अपना नाम होर्डिंग बैनर में दिखाने वाले नेताओं के बीच कुछ ऐसे भी हैं जो ऐन मौंके पर चौंका सकते हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:42 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:42 AM (IST)
UP Assembly Election 2022 : बरेली कैंट विधानसभा सीट पर टिकट की दिलचस्प लड़ाई, पढ़ें टिकट न मिलने पर कौन कर सकता है बगावत
कोई गलत दांव पांच साल इंतजार न करा दे, इसलिए दो नावों पर पैर भी रखने में हिचकिचाहट नहीं है।

बरेली, (अभिषेक पाण्डेय)। UP Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के साथ शुरू हुई टिकट की दौड़ बड़ी रोचक होती जा रही है। दावेदारों की सबसे दिलचस्प लड़ाई बरेली कैंट विधानसभा क्षेत्र में दिख रही है। दावेदार के तौर पर अपना नाम होर्डिंग, बैनर में दिखाने वाले नेताओं के बीच कुछ ऐसे भी हैं, जो ऐन मौंके पर चौंका सकते हैं। राजनीति के मैदान में कोई गलत दांव पांच साल इंतजार न करा दे, इसलिए दो नावों पर पैर भी रखने में हिचकिचाहट नहीं है। हां, यह सब बेहद सतर्कता के साथ अंदरखाने चल रहा। फिलहाल टिकट की माथापच्ची में सबसे लंबी सूची भाजपा और सपा के पास है। कांग्रेस के पास भी आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं। बसपा अभी चुप है। कहा जा रहा है कि 13 दिसंबर के बाद ही दावेदारों के नाम सार्वजनिक किए जा सकेंगे।

वर्ष 2012 में परिसीमन के बाद बरेली के कैंट विधानसभा क्षेत्र में शहर के कुछ अतिरिक्त हिस्से शामिल हुए तो लगातार दो चुनाव में भाजपा राजेश अग्रवाल चुनाव जीते। वह भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं और इस बार टिकट के मजबूत दावेदार भी हैं।  हालांकि पार्टी में उम्र सीमा को लेकर होने वाली चर्चाएं समय-समय पर दूसरे दावेदारों को दम देती रहती हैं। सजातीय वोट बैंक का तर्क देकर प्रदेश के सह कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल भी इसी क्षेत्र से तैयारी कर रहे हैं। हिंदू जागरण मंच और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम कर रहे मनीष अग्रवाल अपनी पृष्ठभूमि का संदर्भ देकर टिकट की लाइन में लगे हैं। भाजपा बृज क्षेत्र के पदाधिकारी हर्षवर्धन आर्य, डा. प्रमेंद्र माहेश्वरी, आस्था अग्रवाल, डा. मनोज आदि के बैनर-पोस्टर पार्टी में टिकट के दावेदारों की संख्या बता रहे। बरेली के महापौर डा. उमेश गौतम भी लगातार इसी क्षेत्र से दावा करते हुए सम्मेलन आदि करा अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं।

ऐसी ही स्थिति समाजवादी पार्टी में भी है। सपा में 18 नेता दावेदारी कर चुके हैं। पवन सक्सेना, अनीस अहमद, अनुराग सिंह नीटू, फिरदौस खां, शाहजेब अंसारी, दीपक शर्मा, साधना मिश्रा, आरिफ कुरैशी, नीरज तिवारी आदि के आवेदन पार्टी के पास पहुंच गए। संगठन में चर्चा इस बात की भी है कि सियासी गुणा-भाग बनाने के लिए जरूरत पड़ी तो एक पदाधिकारी के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। पार्टी के नेता संभावना जताते हैं कि हाईकमान शहर सीट से मुस्लिम प्रत्याशी उतार सकता है और कैंट से गैर मुस्लिम। टिकट की दौड़ में कांग्रेसी भी पीछे नहीं हैं। पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन इस सीट से दावा कर रही हैं। नवाब मुजाहिद खां अपने अनुभव को आधार बताकर फिर से दावेदारों की सूची में शामिल हैं। हाजी इस्लाम बब्बू, नीतू शर्मा, मोनू पांडेय, बिलाल कुरैशी ने भी दावा किया है।

अंदरखाने चल रही उठापटकः टिकट की सबसे दिलचस्प लड़ाई भाजपा में होने वाली है। राजनीतिक भविष्य पर कोई खतरा न आ, इसे ध्यान में रखते हुए एक नेता ने सपा की ओर पैर बढ़ाना भी शुरू किया है। लखनऊ में एक आइएएस दोस्त के जरिए पैरवी की जुगत में लगे हुए हैं। यदि नुकसान जैसी स्थिति आई तो भाजपा भी भरपाई की पृष्ठभूमि तैयार करती चल रही। दूसरी पार्टी के एक नेता संपर्क में हैं मगर उन्हें टिकट की दौड़ में शामिल होने का अवसर मिलने की संभावना कम है। कांग्रेस के एक दावेदार का नाम सपाई खेमे में आए दिन उछलता जा रहा रहा है। कहा जा रहा है कि चुनाव करीब आने पर संदेह के बादल छंट जाएंगे। वह संपर्क में हैं। बात बनने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही दल-बदल के बारे में कुछ कहा जा सकता है।

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