बरेली में दिव्यांग बेटे की मौत के बाद एलआईसी से क्लेम मांगने पर उड़े सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य के होश, बोलीं- नॉमिनी की मौत के बाद लेना क्लेम
Insurance Sector News ‘पल-पल आपके साथ’ और ‘जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी’ ये टैगलाइन हैं भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) की। लेकिन शहर के सिविल लाइंस निवासी बरेली इंटर कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य ने एलआइसी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।
बरेली, जेएनएन। Insurance Sector News : ‘पल-पल आपके साथ’ और ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ ये टैगलाइन हैं भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) की। लेकिन शहर के सिविल लाइंस निवासी बरेली इंटर कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य ने एलआइसी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि दिव्यांग बेटे के नाम पर ली पालिसी की पूरी किस्त देने के बावजूद एलआइसी ने क्लेम नहीं दिया। उल्टा प्रस्तावक होने के बावजूद कह दिया कि मौत के बाद भुगतान लेना। उपभोक्ता फोरम ने शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज करने के बाद मामले में अगली सुनवाई की तारीख 20 अक्टूबर तय की है।
1995 में ली थी दिव्यांग बेटे के लिए पालिसी
सिविल लाइंस निवासी 85 वर्षीय डा.आरबी मिश्रा ने दी शिकायत में बताया कि उन्होंने दिव्यांग बेटे विभाकर मिश्रा के लिए ‘जीवन आधार’ नाम की पालिसी जुलाई 1995 में ली थी। पालिसी एजेंट सतीश चंद्र वर्मा ने की थी और वह खुद प्रस्तावक यानी नामिनी बने थे। उन्होंने दस साल तक सारी किस्त समय पर अदा की। वर्ष 2012 में बेटे की मौत हो गई। इसके बाद जीवन बीमा निगम की कैंट शाखा में क्लेम के लिए पहुंचे।
कहा- मौत के बाद मिलेगा क्लेम, तो दिया लीगल नोटिस
डा.आरबी मिश्रा का कहना है कि क्लेम मांगने पर बताया गया कि पालिसी धारक ही नहीं बल्कि प्रस्तावक यानी नामिनी की मौत के बाद ही क्लेम मिलेगा। कई बार की बातचीत के बाद एलआइसी ब्रांच, एजेंट और प्रबंधक के नाम पर लीगल नोटिस दिया। जिसके बावजूद क्लेम नहीं मिला तो उपभोक्ता फोरम में एलआइसी केंद्रीय कार्यालय, वरिष्ठ प्रबंधक एचएन वर्मा और एजेंट सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के साथ धोखाधड़ी कर उचित मुआवजे की मांग की है।
बड़ा सवाल : प्रस्तावक की मौत तो किसे मिलेगा क्लेम
किसी भी पालिसी में पालिसी धारक के अलावा नामिनी होते हैं। जिससे पालिसी धारक की मौत के बाद नामिनी यानी प्रस्तावक को मुआवजे की रकम बतौर क्लेम मिल सके। लेकिन डा.मिश्रा की ओर से दी शिकायत में बताया है कि एलआइसी से प्रस्तावक की भी मौत के बाद रकम मिलने की बात कही गई। ऐसे में बड़ा सवाल है कि पालिसीधारक के बाद प्रस्तावक की भी मौत हो जाए तो भला क्लेम किसे मिलेगा।
करीब 21 साल बरेली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य रहे हैं शिकायतकर्ता
सिविल लाइंस निवासी डा.आरबी मिश्रा वर्तमान में करीब 86 साल के हैं। वह बरेली इंटर कालेज के पहले प्रधानाचार्य थे। करीब 21 साल से बरेली इंटर कालेज के प्रधानाचार्य रहने के बाद वह सेवानिवृत्त हुए थे।
जीवन आधार पालिसी के एक मामले में प्रस्तावक डा.आरबी मिश्रा के क्लेम के मामले में शुरुआत में कुछ देर हुई। इसके बाद उनकी ओर से लीगल नोटिस भिजवाया गया। जिससे मामला लीगल सेल में पहुंच गया। उम्मीद है कि जल्द उनका क्लेम भुगतान कर दिया जाएगा। - एचएन वर्मा, ब्रांच मैनेजर, कैंट शाखा, एलआइसी