रेल दुर्घटनाओं को रोकेगा डा. अतुल सरोजवाल का सिस्टम, जानिये क्या है सिस्टम और कैसे रोकेगा हादसे

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विवि के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अतुल सरोजवाल ने एंटी कोलिजन एंड डिरेलमेंट सिस्टम फार ट्रेंस के जरिये बिना किसी मानव संसाधन के ट्रेन की दुघर्टनाएं पटरियों की चटकन के विषय में जानकारी इकट्ठा करने का दावा किया है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 04:45 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 04:45 PM (IST)
रेल दुर्घटनाओं को रोकेगा डा. अतुल सरोजवाल का सिस्टम, जानिये क्या है सिस्टम और कैसे रोकेगा हादसे
एंटी कोलिजन एंड डिरेलमेंट सिस्टम फार ट्रेंस के तहत रुकेंगे हादसे।

बरेली, जेएनएन। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विवि के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अतुल सरोजवाल ने एंटी कोलिजन एंड डिरेलमेंट सिस्टम फार ट्रेंस के जरिये बिना किसी मानव संसाधन के ट्रेन की दुघर्टनाएं, पटरियों की चटकन के विषय में जानकारी इकट्ठा करने का दावा किया है।

डा. सरोजवाल ने बताया कि जिंदगी को बचाने के लिए इस सिस्टम को बनाया है। यह प्रोजेक्ट इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि कम्युनिकेशन डिपेंडेंसी, आपरेटर डिपेंडेंसी, सेटलाइट या चालक किसी पर भी इसकी कार्यप्रणाली आश्रित नहीं है। पूर्व में भी ऐसे हादसों को रोकने के लिए कई सिस्टम बनाए गये हैं। लेकिन उनमें नेविगेशन जीपीएस लगे हुए हैं। इस प्रोजेक्ट को प्रयोग में लाने के बाद दो ट्रेनें आमने -सामने हैं तो उचित दूरी पर रुक जाएंगी। इसमें सेल्फ एक्टिंग माइक्रो कंट्रोलर व टू-वे कोडेड डाटा कम्युनिकेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है। जो 24 घंटे कार्य करता रहेगा। एंटी डिरेलमेंट सिस्टम को रेलवे ट्रैक के साथ जोड़ा जाएगा।

उनका कहना है कि ट्रेन दुर्घटना के लिए रांग कम्युनिकेशन बिटविन द नेटवर्क, रांग सिग्नलिंग, पूअर विजिबिलिटी, वेदर कंडीशन और चालक के द्वारा ध्यान नहीं देने से आए दिन रेल हादसे होते रहते हैं। हादसों की वजहों को कम करने के लिए इन्नोवेटिव प्रोजेक्ट कोलिजन सिस्टम और एंटी डिरेलमेंट सिस्टम अहम है। जिससे एंटी कोलिजन और ट्रैक डिस्कंटीन्यूएशन पर आधारित सभी प्रकार की दुर्घटना को रोका जा सकता है। चालक पर भी निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

तैयार नहीं डीटीआइ, ड्राइविंग टेस्ट से खड़े किए हाथ : परिवहन विभाग ने 15 जून से प्रदेश भर में डीटीआइ (ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) में ड्राइविंग कौशल के परीक्षण की तैयारी है। बरेली में निर्माणाधीन डीटीआइ की बिल्डिंग हैंडओवर न होने से पेच फंसा हुआ है। जनपद में फिलहाल पहले की तरह ट्रांसपोर्ट नगर में ही होते रहेंगे टेस्ट। विकास भवन के पीछे बन रहे डीटीआइ में पेड़ शिफ्ट न होने से टेस्ट ट्रैक तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं।

विकास भवन के पास काष्ठ कला केंद्र की खाली पड़ी जमीन पर परिवहन विभाग ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बना रहा है। कोरोना लाकडाउन के चलते प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा नहीं हो पाया। परिसर में बनाए जाने वाले ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में से एक का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है। टेस्टिंग ट्रैक की राह में बाधा बने पेड़ शिफ्ट न होने के चलते लंबे समय से काम थमा हुआ है। इस बीच परिवहन निगम मुख्यालय ने मंगलवार से प्रदेश में स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस के टेस्ट डीटीआइ में कराने का फैसला किया है। इसके साथ ही डीटीआइ में प्रशिक्षण भी शुरू किया जाएगा। चूंकि डीटीआइ परिसर का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है।

ऐसे में विभाग ने यह प्रक्रिया जुलाई से शुरू कराने की तैयारी की है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन आरपी सिंह ने बताया टेस्टिंग ट्रैक की राह में बाधा बने पेड़ शिफ्टिंग की तैयारी हो रही है। निर्माणदाई संस्था ने जुलाई तक बचा काम पूरा कर बिल्डिंग हैंडओवर करने का वादा किया है। इसके साथ ही सिस्टम शिफ्ट करने की प्रकिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में 15 से लेकर 20 दिन का समय लगने की उम्मीद है। इसके बाद डीटीआइ में प्रशिक्षण के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस के टेस्ट भी शुरू कर दिए जाएंगे।

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