लॉकडाउन के सन्नाटे में बरेली की ये महिला अपने पति के साथ जानिये क्यों निकलती है घर से बाहर

एक ओर जहां लोग संक्रमण से बचने के लिए हर संभव जतन में लगे हैं तो वहीं शालिनी अपने पति के साथ एहतियात बरतते हुए पर्यायवरण को भी सुरक्षित रखने का हर जतन कर रही हैं। वह हर रोज पेड़ पौधों को पानी देकर उन्हें बचाने में लगी हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 11:40 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:36 PM (IST)
लॉकडाउन के सन्नाटे में बरेली की ये महिला अपने पति के साथ जानिये क्यों निकलती है घर से बाहर
जब से होश संभाला है प्रकृति से नाता अटूट ही रहा।

बरेली, जेएनएन। एक ओर जहां लोग संक्रमण से बचने के लिए हर संभव जतन में लगे हैं तो वहीं शालिनी अपने पति के साथ एहतियात बरतते हुए पर्यायवरण को भी सुरक्षित रखने का हर जतन कर रही हैं। वह हर रोज इन विपरीत परिस्थितियों में न जाने कितनी दुश्वारियों का सामना कर पेड़ पौधों को पानी देकर उन्हें बचाने में लगी हैं।

शालिनी गुप्ता सूफी टोला के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। बताती हैं कि लॉकडाउन का असर मानव जाति के साथ ही उन पेड़-पौधों पर भी पड़ा है। जिन्हें देखने के लिए कोई माली ही नहीं है। अब विपरीत स्थितियां उसमें भी ऐसा अवसर जब बेजुबानों को पानी देकर बचाया जा सकता है। तब शालिनी ने यह मौका नहीं चूकने दिया।

वह कहती हैं कि वर्तमान में हर ओर आक्सीजन की किल्लत से हाहाकार मची है। आक्सीजन के अभाव में लोगों की सांसे थम रही हैं। ऐसे में पेड़ पौधों को बचा कर ही आक्सीजन की पूर्ति की जा सकती है। बताया कि वह अपने पति ओमराज विश्नोई के साथ हर रोज राजेंद्र नगर से सूफी टोला गांव में हर दूसरे दिन पेड़-पौधों को पानी देने के लिए घर से निकलती हैं।

रास्ते में कई बार झेलनी पड़ती हैं दुश्वारियां : शालिनी के पति ओमराज विश्नोई कहते हैं कि वह भी प्रकृति प्रेमी हैं। लेकिन, इन विपरीत स्थिति में भी अपनी जान पर खेलकर पेड़ो को सूखने से बचाने की प्रेरणा उन्हें पत्नी से ही मिली। बताते हैं कि वह पत्नी के साथ एक दिन छोड़कर पेड़ों को पानी देने के लिए घर से निकलते हैं। कई बार रास्ते में लॉकडाउन की वजह से पुलिसवालों का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन, वह हिम्मत नहीं हारते।

पेड़-पौधों से ही जीवन संभव : शालिनी कहती हैं कि पेड़ पौधों से ही जीवन संभव है। पर्यायवरण के नुकसान का नतीजा वर्तमान में सभी के सामने है। ऐसे में भी अगर लोग जागरूक नहीं हुए तो धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि अपने-अपने स्तर से हर जन पौधरोरण के लिए आगे आए। ताकि आक्सीजन की मात्रा पर्याप्त रूप से बनी रहे।

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