पढ़े.. पीलीभीत में ग्रामीणों ने किया कुछ ऐसा कि उत्पाती नेपाली हाथियों का झुंड दुम दबाकर भागा

एक सप्ताह से अधिक समय से उत्पाती नेपाली हाथियों का झुंड बॉर्डर से सटे गांव पर आतंक मचा रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 02:06 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 04:18 PM (IST)
पढ़े.. पीलीभीत में ग्रामीणों ने किया कुछ ऐसा कि उत्पाती नेपाली हाथियों का झुंड दुम दबाकर भागा
पढ़े.. पीलीभीत में ग्रामीणों ने किया कुछ ऐसा कि उत्पाती नेपाली हाथियों का झुंड दुम दबाकर भागा

पीलीभीत (जेएनएन)। अभी तक आप ने मदमस्त हाथी के इंसानों को दौड़ाने के तमाम किस्से सुने होंगे, लेकिन पीलीभीत में इंडो-नेपाल बार्डर से सटे गांव गोरखडिब्बी में ग्रामीणों ने उत्पाती हाथियों के झुंड को दौड़ा लिया। जिले भर में इस किस्से को लेकर चर्चाएं चल रही है। बतातें हैं, उत्पाती नेपाली हाथियों का एक झुंड बॉर्डर से सटे गांवों में किसानों की धान व गन्ने की फसलों को कई दिनों से तहस-नहस कर रहा था। इससे किसानों के आगे रोजी-रोटी का संकट होने लगा। कई बार ग्रामीणों ने वन चौकी पहुंचकर शिकायत की मगर वन कर्मियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इस पर ग्रामीणों ने गांव में बैठकर खुद ही हाथियों से निपटने की रणनीति बनाई। फिर क्या था रात में जैसे ही हाथियों को झुंड खेतों में घुसा ग्रामीण एकजुट होकर वहां पहुंच गए। पटाखे दागते हुए हाथियों को जंगल की ओर दौड़ा लिया। आखिरकार उत्पाती नेपाली हाथी दुम दबाकर जंगल की ओर भाग खड़े हुए।

--10 दिनों में 25 एकड़ फसल कर चुके थे बर्बाद : शारदा पार नेपाल सीमा से सटे गांव गोरखडिब्बी की थारू बस्ती में पिछले 10 दिनों से नेपाली हाथियों का तांडव जारी है। थारू बस्ती के डेढ़ दर्जन किसानों की 25 एकड़ धान व गन्ना की फसल हाथी उजड़ चुके हैं। बार बार शिकायत के बाद लग्गा भग्गा वन चौकी से वनकर्मियों ने केवल एक बार गांव पहुंचकर ग्रामीणों को हाथियों से निपटने के लिए पटाखे बांट कर इतिश्री कर ली थी। डर के चलते ग्रामीण अपनी फसलों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे। गांव में एकजुट हुए ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से फसल सुरक्षित करने की रणनीति बनाई। बुधवार रात 11 बजे जैसे ही हाथियों का झुंड खेतों में घुसा पहले से ही खेतों की रखवाली कर रहे ग्रामीणों ने पटाखे दगाने शुरू कर दिए। इसके साथ ही जोर-जोर से शोर मचाना शुरू कर दिया। अचानक आतिशबाजी, शोर शराबा होने पर उत्पाती हाथियों को खतरा का आभास हुआ तो उनके कदम थम गए। इसके बाद शोर मचाते ग्रामीणों ने हाथियों को जंगल की ओर दौड़ा लिया। रात में हाथियों ने कई बार खेतों की तरफ आने का रुख किया लेकिन ग्रामीणों ने हर बार उन्हें जंगल का ही रास्ता दिखाया।

--खेतों में बारी-बारी से होगी पहरेदारी

गांव में हुई बैठक के बाद ग्रामीणों ने अब तय किया कि उत्पाती हाथियों से निपटने के लिए गांव में दो व्यक्ति बारी-बारी से फसल की पहरेदारी करेंगे। खेतों में हाथियों के घुसने की सूचना पर ग्रामीण एकजुट होकर उन्हें भगाने में सहयोग करेंगे। इस नई योजना से ग्रामीणों की फसल की काफी हद तक सुरक्षा हो सकती हैं। --हाथियों ने गन्ने की फसल का कर दिया सफाया

पुरानी कहावत है कि हाथियों को गन्ना सबसे अधिक प्रिय हैं। गोरखडिब्बी थारू बस्ती निवासी बप्पी मंडल सहित अन्य किसानों का खेतों में खड़ा गन्ना हाथी खा गए। बप्पी मंडल के चार एकड़ गन्ने के खेत के अधिकतर भाग में केवल गन्ने की जड़े ही दिख रही हैं। इसे देखकर किसान गमगीन हो गया।

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