बरेली के स्कूलों में अभिभावकों से किताबें एक निश्चित दुकान से खरीदने का बनाया जा रहा दबाव, नारंगी स्लिप स्कूल में जमा करने को कहा जा रहा, जानिए क्या है नारंगी स्लिप

मार्च और अप्रैल का माह अभिभावकों के लिए बड़ा भारी पड़ता है। स्कूल की फीस के साथ ही किताबों की खरीदारी की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों को मैसेज भेज कर बुक स्टॉल तय किए जा रहे हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 11:20 AM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 11:20 AM (IST)
बरेली के स्कूलों में अभिभावकों से किताबें एक निश्चित दुकान से खरीदने का बनाया जा रहा दबाव, नारंगी स्लिप स्कूल में जमा करने को कहा जा रहा, जानिए क्या है नारंगी स्लिप
सेटिंग वाली दुकानों से किताबें खरीदने का बनाया जा रहा दबाव।

बरेली, जेएनएन।  मार्च और अप्रैल का माह अभिभावकों के लिए बड़ा भारी पड़ता है। स्कूल की फीस के साथ ही किताबों की खरीदारी की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों को मैसेज भेज कर बुक स्टॉल तय किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है जहां से बताया वहीं से किताब खरीदें। ऐसे में पहले से ही महंगी किताबों पर कमीशन का बोझ और बढ़ जाता है। हालांकि जब स्कूल संचालकों से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने साफ कहाकि उनके यहां ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। फिलहाल स्कूल बंद हैं लेकिन आनलाइन पढ़ाई के लिए भी किताबें जरूरी हैं।

दो दिन पहले वायरल हुए एक मैसेज ने एक निजी स्कूल की पोल खोल दी। उस स्कूल की ओर से मैसेज भेजकर प्रेमनगर स्थित बुक स्टॉल से ही किताबें खरीदने के लिए कहा गया। उसमें बताया गया कि बुक सेट के साथ मिलने वाली नारंगी रंग की स्लिप को स्कूल में आकर जमा करें। यदि बुक स्टॉल से नारंगी स्लिप न मिले तो बुक सेलर की रसीद की फोटो कापी जमा करनी होगी। इसके बाद भी अभिभावक एप सक्रिय किया जाएगा। यह मामला एक विद्यालय का है लेकिन कई अन्य स्कूलों की ओर से भी अभिभावकों को बुक डिपो का नाम बताया गया है। बुधवार को दैनिक जागरण के संवाददाता ने जब स्कूल संचालकों एवम बुक सेलर्स से बातचीत की, तो ज्यादातर स्कूलों ने मना किया कि किसी अभिभावक पर दवाब नही बनाया जा रहा। वह कहीं से किताबें ले सकते हैं। हालांकि जिस स्कूल का मैसेज वायरल हो रहा था, उस स्कूल के प्रिंसिपल ने फोन ही नहीं उठाया। वहीं कुछ अभिभावकों और अभिभावक संघ के पदाधिकारियों ने यह स्वीकार किया हैं कि स्कूल संचालक ऑनलाइन पढ़ाई जल्द शुरू करने के लिए किताबों के नाम पर मनमानी कर रहे हैं।

अभिभावकों की बात

- स्कूलों द्वारा यह काम हर साल किया जाता है। इस बार भी स्कूल मैसेज भेज कर बता रहे हैं कि किताबें कहां से लेनी है। स्कूल संचालकों को इस पर विचार करना चाहिए। - अमित खंडेलवाल, अभिभावक

- स्कूलों की शिकायतें हर बार होती हैं। लेकिन फिर भी हर साल अभिभावक पिसता हैं। अभी परेशानी ज्यादा हैं। कोरोना काल के चलते आर्थिक संकट सब अभिभावकों के सामने हैं। - पूजा सक्सेना,अभिभावक

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प्रिंसिपल की बात

ऐसा हमारे स्कूल में बिल्कुल नहीं है। अभिभावक किसी भी दुकान से किताबें खरीद सकते हैं। फीस में रियायत का अभी कोई फरमान नही जारी किया गया हैं। - अमित, प्रिन्सिपल,एस आर स्कूल

- अभिभावकों पर स्कूल की ओर से कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है। अभिभावकों को किताबों की जानकारी दी गई है। वह जहां से चाहें खरीद लें। - उर्मिला बाजपेई, सेक्रेड हार्ट स्कूल

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