आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति मिलने पर जानिये डॉक्‍टरों के संगठन ने क्‍या कहा

आइएमए अध्यक्ष डॉ.मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा शिक्षा में खिचड़ी तंत्र का विरोध करता है। चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्तापूर्वक शिक्षा होती है जिसमे चिकित्सक को अच्छी स्किल दी जाती है। हर छोटी से छोटी विद्या को विज्ञान समस्त तरीके से विकसित की जाती है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 05:47 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 11:46 PM (IST)
आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति मिलने पर जानिये डॉक्‍टरों के संगठन ने क्‍या कहा
मॉडर्न मेडिसिन पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित विद्या है।

बरेली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने के बाबत हाल में गजट जारी किया है। इस बाबत आइएमए बरेली ने विरोध करते हुए इसे खिचड़ी मेडिकल शिक्षा कहते हुए विरोध शुरू कर दिया है।

आइएमए अध्यक्ष डॉ.मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा शिक्षा में खिचड़ी तंत्र का विरोध करता है। चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्तापूर्वक शिक्षा होती है जिसमे चिकित्सक को अच्छी स्किल दी जाती है। साथ ही हर छोटी से छोटी विद्या को विज्ञान समस्त तरीके से विकसित की जाती है। मॉडर्न मेडिसिन पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित विद्या है। इसमें हर मरीज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है। यह विद्या हर महामारी के नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाती है। देश में कोई नई दवा आनी हो, या नई तकनीक विकसित करनी हो, या बीमारी को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार करनी हो, मॉडर्न मेडिसिन के रिसर्च से ही संभव हो पाता है। कोविड-19 वायरस के इलाज के लिए आई नई वैक्सीन इसका उदाहरण हैै। आइएमए, बरेली सचिव डॉ.अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि भारतवर्ष आयुर्वेद पद्धति की जननी है। यूनानी भी यहीं से शुरू हुआ। फिर 18वीं सदी में अंग्रेजों ने एलोपैथी (मॉॅडर्न मेडिसिन) की शुरुआत की। उस समय कलकत्ता, मद्रास एवं मुंबई में मेडिकल कॉलेज शुरू हुए। स्वतंत्र भारत में थ्री टियर स्वास्थ्य तंत्र विकसित किया गया। जिसके बाद देश में मेडिकल टूरिज्म भी बढ़ा। मॉडर्न मेडिसिन में खिचड़ी तंत्र लाने से पूरी विद्या का ह्रïास होगा और भविष्य में उच्चस्तरीय इलाज मिलने में बहुत कठिनाई होगी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा क्षेत्र की हर विद्या को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को उसी पद्धति में बेहतर किया जाए, न कि एलोपैथी में घालमेल कर चिकित्सा तंत्र बिगाड़ा जाए।

आठ दिसंबर को दो घंटे का सांकेतिक आंंदोलन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बरेली के पदाधिकारियों ने घोषणा की सरकार फैसला को वापस नहीं लेती है तो सभी चिकित्सक एकजुट होकर आठ दिसंबर को देशव्यापी दो घंटे का सांकेतिक आंदोलन करेंगे। वहीं, 11 दिसम्बर से नॉन इसेंशियल नॉन कोविड सर्विस को पूरे देश में बंद रखेंगे।

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