कैसे होगा इलाज जब जिला अस्तपाल में ही नहीं है जीवन रक्षक दवाएं

जिले का 300 बेड कोविड अस्पताल। दावा है कि यहां कोविड-19 संक्रमितों की जांच के साथ ही सघन रोगियों के इलाज की भी व्यवस्था है। लेकिन व्यवस्थाओं की जमीन पर सभी सुविधाओं के दावे हवाई लगते हैैं। जरूरी कफ सीरप लंबे समय से अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं है।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 05:19 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 05:52 PM (IST)
कैसे होगा इलाज जब जिला अस्तपाल में ही नहीं है जीवन रक्षक दवाएं
एक बार फिर बढ़ते मरीजों की संख्या पर कोविड अस्पताल के डॉक्टर भी परेशान हैैं।

 बरेली, जेेएनएन।  जिले का 300 बेड कोविड अस्पताल। दावा है कि यहां कोविड-19 संक्रमितों की जांच के साथ ही सघन रोगियों के इलाज की भी व्यवस्था है। लेकिन व्यवस्थाओं की जमीन पर सभी सुविधाओं के दावे हवाई लगते हैैं। वजह, कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जरूरी कफ सीरप लंबे समय से अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं है। यही नहीं, कई अन्य जीवन रक्षक दवाएं, इंजेक्शन भी अधिकांश समय आउट ऑफ स्टॉक रहते हैैं। अगर स्टॉक आता भी है तो बेहद सीमित। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर में एक बार फिर बढ़ते मरीजों की संख्या पर कोविड अस्पताल के डॉक्टर भी परेशान हैैं।

इनऑक्सोपैरिन कम, रैनिटिडिन खत्म

सूत्रों के मुताबिक जिला कोविड अस्पताल में इनऑक्सोपैरिन दवा का स्टॉक बेहद कम है। इस दवा के उपयोग से शरीर में रक्त का थक्का नहीं जमता। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए दवा बेहद अहम है। वहीं, कई दवाओं से पेट में गैस बन जाती है। इसे रोकने के लिए रैनिटिडिन इंजेक्शन दिया जाता है। जिससे एसिडिटी खत्म हो जाए। लेकिन कोविड अस्पताल में यह स्टॉक भी नहीं है।

एजिथ्रोमाइसिन, एमोक्सिक्लेव, डॉक्सी की भी जरूरत

300 बेडेड कोविड अस्पताल में एंटी बायोटिक दवाएं जैसे एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सी बेहद सीमित हैैं। ये दोनों दवाएं गंभीर कोरोना संक्रमित के लिए जरूरी हैैं। इसके अलावा सामान्य कोविड मरीजों के लिए एमोक्सिक्लेव की भी जरूरत है।

क्या कहते हैं सीेएमओ

सीएमओ विनीत कुमार शुक्ला कहते हैं कि संक्रमित मरीजों की संख्या अभी नियंत्रित है। इसके लायक स्टाक भी है। कफ सीरप के ऑप्शन में खांसी की दवा है। अन्य डिमांड को भी जल्द पूरा किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी