बरेली में तय दाम से तीन गुना ज्यादा वसूल रहे अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग को जानकारी तक नहीं, जानिये सरकार ने कितना तय कर रखा है रेट

कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर से निपटने के लिए निजी अस्पताल को कोविड अस्पताल का दर्ज दिया गया था। उम्मीद थी कि इन अस्पतालों की मदद से बेड की कमी पूरी होगी। लेकिन कोविड का दर्जा मिलना इन प्राइवेट अस्पतालों के लिए आपदा में अवसर मिलना जैसा हो गया।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 11:28 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 11:28 AM (IST)
बरेली में तय दाम से तीन गुना ज्यादा वसूल रहे अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग को जानकारी तक नहीं, जानिये सरकार ने कितना तय कर रखा है रेट
प्राइवेट कोविड अस्पतालों के लिए शासन ने 10, 15 और 18 हजार रुपये किए निर्धारित।

बरेली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर से निपटने के लिए निजी अस्पताल को कोविड अस्पताल का दर्ज दिया गया था। उम्मीद थी कि इन अस्पतालों की मदद से बेड की कमी पूरी होगी, लोगों को आसानी से सुविधाजनक इलाज मिल सकेगा। लेकिन कोविड का दर्जा मिलना इन प्राइवेट अस्पतालों के लिए आपदा में अवसर मिलना जैसा हो गया। मानकों और नियमों को किनारे रख यह अस्पताल कोविड संक्रमितों के स्वजनों की जेब खाली करने में जुट गए हैं।

जिले में कुल 17 कोविड अस्पताल है, जिनमें 13 प्राइवेट अस्पताल हैं। वहीं मेडिकल कालेज में भी निजी खर्च पर इलाज कराने की सुविधा उपलब्ध है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के बाद प्राइवेट अस्पताल निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे वसूल रहे हैं। अस्पताल के गेट पर पहुंचने वाले स्वजनों से पहले तो बेड न होने की बात कह दी जाती। बाद में जब स्वजन गुहार लगाते तो मरीज को भर्ती करने से पहले काउंटर 40 से 50 हजार रुपये जमा करा लिए जाते हैं। बीते दिनों एक निजी अस्पताल में मरीज को बाहर खड़ा रख रुपये पहले जमा कराए जाने को लेकर हंगामा भी हुआ था। पुलिस भी पहुंची लेकिन अपने मरीज को इलाज दिलाने के चलते स्वजन शांत हो गए थे। ऐसे ही कई अन्य मामले भी सामने आ चुके हैँ।

चार घंटे इंतजार के बाद भर्ती करने पर हुए तैयार, जमा कराए 75 हजार

शहर के टीबरीनाथ के पास रहने वाले अमित भारद्वाज और उनकी पत्नी दोनों ही कोरोना संक्रमण की जद में थे। अस्पतालों में बेड न होने पर उन्होंने एक माननीय से फोन करवा कर स्टेडियम रोड स्थित एक प्राइवेट कोविड अस्पताल में बेड की व्यवस्था की। करीब 15 दिन पहले जब वह अस्पताल गेट पर पहुंचे तो उन्हें फिर बेड के लिए मना कर दिया गया। जानकारी देने पर अंदर बुलाया गया, कोविड वार्ड में भर्ती करने से पहले उनसे 50 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया। उन्होंने रुपये जमा करा दिए। वह वार्ड तक पहुंचे भी नहीं थे कि दो लोगों के होने के चलते उनसे 40 हजार रुपये और मांग लिए गए। इलाज में देरी होने पर उन्होंने नाराजगी भी जताई लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। बाद में काफी हंगामा हुआ और मामला पुलिस तक पहुंचा।

पांच दिन में जमा करा लिए 2.80 लाख, फिर भी नहीं बची जान

शहर के सिविल लाइंस स्थित एक अस्पताल में कुछ दिन पहले एक अधिकारी ने अपने रिश्तेदार को भर्ती कराया था। गंभीर होने पर वह आईसीयू में भर्ती हुए। जिसकी शाासन से निर्धारित शुल्क 15 हजार रुपये प्रतिदिन है। उनसे मरीज के भर्ती होने से पहले ही 50 हजार रुपये जमा करा लिए गए। बाद में और रुपये भी लिए गए। चार दिन चले उपचार के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। शव ले जाने से पहले उन्हें 1.05 लाख का बिल थमा दिया गया। जिसमें दवा समेत कई खर्च दिखाए गए। लेकिन स्वजन उस खर्च से संतुष्ट नहीं थे। हालांकि उनसे पूरे 1.05 लाख रुपये ले लिए गए।

शासन की ओर इलाज के लिए निर्धारित शुल्क

शासन की ओर से प्रदेश में ए, बी और सी कैटेगरी के हिसाब से कोविड अस्पतालों के अलग-अलग रेट निर्धारित किए गए हैं। इसमें बरेली को ए ग्रेड में रखा गया है। इसमें कोविड अस्पताल के जनरल बेड के लिए 10 हजार रुपये, आइसीयू के लिए 15 हजार रुपये और वेंटीलेटर के साथ आइसीयू के लिए 18 हजार रुपये प्रतिदिन की फीस निर्धारित की गई है। वहीं जनरल बेड में पीपीई की 1200 रुपये, आइसीयू और वेंटीलेटर में दो हजार रुपये में पीपीई किट की फीस भी शामिल है।

इन सुविधाओं के भी जोड़ रहे रुपये

नर्सिंग केयर, मॉनीटरिंग, डॉक्टर विजिट, भोजन, पीपीई किट, जांच, सलाह और परीक्षण के लिए भी निजी अस्पतालें में रुपये लिए जा रहे हैं। जबकि ये एपिडेमिक डिसीज एक्ट (आपदा अधिनियम) के तहत दंडनीय है।जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रंजन गौतम ने बताया कि कुछ दिन पहले इस तरह की सूचना मिली थी, लेकिन किस अस्पताल की थी यह जानकारी नहीं दी गई।निजी अस्पतालों की ओर से कोविड मरीजों से निर्धारित शुल्क से अधिक लिए जाने की कोई शिकायत नहीं मिल है। अगर ऐसा है तो जनकारी कर संबंधित पर कार्रवाई कराई जाएगी। 

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