विकास के साथ नाथ नगरी की विरासत भी रहे संरक्षित

महायोजना-2031 और सिटी डेवलपमेंट प्लान पर होनी थी लेकिन पिछली योजना की विसंगतियों पर ही लंबी चर्चा होती रही। बड़ा बाइपास की अधूरी रिग रोड ट्रांसपोर्टनगर के सफल नहीं होने एनएचएआइ द्वारा तय ग्रीन बेल्ट जैसे कई प्रोजेक्ट में हुई गलतियों से सीख लेते हुए महायोजना-2031 का खाका खींचने का सुझाव दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:39 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:39 AM (IST)
विकास के साथ नाथ नगरी की विरासत भी रहे संरक्षित
विकास के साथ नाथ नगरी की विरासत भी रहे संरक्षित

बरेली, जेएनएन: वर्ष 2031 के बरेली का स्वरूप तय करने के लिए कमिश्नर कार्यालय में जनप्रतिनिधि, अफसर, बिल्डर और आम नागरिक जुटे। चर्चा महायोजना-2031 और सिटी डेवलपमेंट प्लान पर होनी थी, लेकिन पिछली योजना की विसंगतियों पर ही लंबी चर्चा होती रही। बड़ा बाइपास की अधूरी रिग रोड, ट्रांसपोर्टनगर के सफल नहीं होने, एनएचएआइ द्वारा तय ग्रीन बेल्ट जैसे कई प्रोजेक्ट में हुई गलतियों से सीख लेते हुए महायोजना-2031 का खाका खींचने का सुझाव दिया गया।

1977 में बरेली का पहला मास्टर प्लान तैयार हुआ था। महायोजना-2031 प्रस्तावित बरेली का चौथा ब्लू प्रिट है। वर्ष 2021 के मास्टर प्लान में 264 गांव में 22 लाख आबादी का अनुमान लगाया गया था। हालिया सर्वे में इन गांवों में 17 लाख की आबादी बढ़ने के आंकड़े सामने आए। अब 2031 की अनुमानित आबादी के अनुसार 40 फीसद मकान सरकार को बनाकर देने हैं, जबकि 60 फीसद मकान निजी बिल्डर तैयार करेंगे। इन चर्चाओं के साथ सुझाव दिए गए कि बरेली की पहचान नाथनगरी, ऐतिहासिक पांचाल नगरी, नैनीताल के द्वार के रूप में और फर्नीचर व बांस बरेली के रूप में मजबूत करनी है। 2031 के मास्टर प्लान को तैयार करते वक्त इसका ख्याल रखा जाना है।

अभी तक सीवर और पानी की लाइनें घर-घर नहीं पहुंचीं

महापौर डा. उमेश गौतम ने कहा कि 2021 तक शहर के कई हिस्सों में सीवर लाइन, पानी की लाइन नहीं पहुंची। अब कोशिश हो रही है। सपा सरकार में 350 करोड़ बिजली लाइनों को अंडरग्राउंड करने में खपाए, लेकिन एक भी लाइन अंडरग्राउंड नहीं हुई। लखनऊ, दिल्ली, बदायूं, नैनीताल, पीलीभीत की तरफ से आते हुए लगना चाहिए कि बरेली में आए हैं। सरंक्षित स्थल अहिच्छत्र का विकास होना चाहिए।

बिजली सब स्टेशनों की जगह करें चिह्नित

बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर तारीक मतीन ने समस्या उठाई कि रामगंगा आवासीय कालोनी का लोड सैंक्शन नहीं करवाया गया। ग्रिड स्टेशन से जोड़ने का प्रावधान करना पड़ता है। मास्टर प्लान तैयार करने में बिजली के सबस्टेशनों के लिए जगह पहले ही चिह्नित कर ली जाए, क्योंकि बाद में जगह नहीं मिलती है। कैंट बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विवेक सिंह ने कहा कि सदर बाजार और बीआइ बाजार को भी अमृत योजना का लाभ मिलना चाहिए।

नागपुर और जयपुर की कंपनियों ने पूरा किया सर्वे

कमिश्नर आर रमेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि ऐतिहासिक विरासत संरक्षित हो। जीआइएस आधारित महायोजना-2031 तैयार किए जाने के लिए महाराष्ट्र नागपुर की कन्सलटेंट मैसर्स क्रिएटिव सर्किल और जयपुर की सब कन्सलटेंट वीके सुप्रीम कन्सलटेंट प्रा लि. ने तैयार किया।

सर्वे कंपनी ने कहा, रामगंगा मुरादाबाद-रामपुर से ही दूषित

बैठक में प्रजेंटेशन के दौरान रामगंगा नदी का मुद्दा भी आया। सर्वे कंपनी ने कहा कि नदी प्रदूषण की वजह मुरादाबाद और रामपुर में औद्योगिक इकाइयों का वेस्ट सामने आया है। नदी किनारे लगने वाले मेलों से गंदगी फैलती है। इसके लिए मास्टर प्लान में रूपरेखा तैयार की जा रही है।

रीवर फ्रंट पर आवासीय कालोनी हो विकसित

क्रेडाई के अध्यक्ष रमनदीप ने कहा कि रीवर फ्रंट पर आवासीय योजना तैयार कराए। डीएम नितीश कुमार ने कहा कि नगर निगम और सिचाई विभाग को मिलकर रीवर फ्रंट को विकसित करना चाहिए। इसके बाद बिल्डर रमनदीप सुझाव दिए कि बड़ा बाइपास पर 100-100 मीटर दोनों तरफ ग्रीन बेल्ट बनाई, लेकिन पौधारोपण हुए नहीं। अवैध निर्माण रुकवाने का प्लान तैयार होना चाहिए। बड़ा बाइपास के चौड़ीकरण के मुताबिक ही ग्रीन बेल्ट 25-25 मीटर की भी पर्याप्त है। हाईटेंशन लाइन के पोल के नीचे के 21 मीटर की जगह में सघन पौधारोपण किया जा सकता है।

ट्रांसपोर्टनगर एक कोने में, दूसरे कोने पर औद्योगिक क्षेत्र

बिल्डर रमनदीप ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र के दूसरे कोने पर ट्रांसपोर्टनगर विकसित किया गया। ट्रांसपोर्टनगर को पीपीपी माडल पर विकसित करना चाहिए। शहर की पीलीभीत, नैनीताल, बदायूं, लखनऊ, दिल्ली रोड पर ट्रक ले-बे का कन्सेप्ट लेकर आना चाहिए। पार्किंग भी होनी चाहिए। वही डारमेट्री, पेट्रोल-पंप, रेस्टोरेंट होने चाहिए। नए व्यापार की गुंजाइश के लिए लॉजिस्टिक वेयरहाउसिग और मेगा रिटेल स्टोर पांच से दस एकड़ लैंड यूज मार्क किए जाएं, या एग्रीकल्चर लैंड में यूज इंपैक्ट फीस लेते हुए बोर्ड से पास कराया जाए। चिकित्सा और शिक्षा अब बरेली की पहचान बन रही है। महायोजना में भू उपयोग का चिकित्सा और शिक्षा मार्क नहीं है। 2031 के मास्टर प्लान में संस्थागत लैंड यूज मार्क करना चाहिए। 264 गांव में ग्राम पंचायत की भूमि बरेली विकास प्राधिकरण को उपलब्ध कराना चाहिए।

प्रजेंटेशन में 2001 से 2021 तक विकास की तुलना हुई

2001 के मास्टर प्लान में आवासीय भूमि 33.20 फीसद रखी गई, लेकिन पांच साल के रिव्यू के बाद सिर्फ 28 फीसद ही विकास होते दिखे। इसके बाद 2021 के मास्टर प्लान में 41.27 फीसद भूमि को आवासीय आरक्षित किया गया। वही व्यावसायिक भूमि 3.01 फीसद 2001 के मास्टर प्लान में दिखाई गई, लेकिन लैंड यूज सिर्फ 0.88 फीसद ही हुआ। फिर भी 5.45 फीसद जमीन को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए रखा गया। उद्योगों के लिए 2001 में 18.78 फीसद के सापेक्ष पांच सालों में 3.30 फीसद ही लैंड यूज हुआ। इसके बावजूद 2021 में 6.32 फीसद जमीन को उद्योगों के लिए रखा गया। इस आधार पर 2031 मास्टर प्लान तैयार किया जाना है।

सुझाव के अनुसार ड्राफ्ट प्लान में होगा बदलाव

बीडीए उपाध्यक्ष जोगिदर सिंह ने कहा कि ड्राफ्ट मास्टर प्लान में लोगों के सुझाव के अनुरूप दो महीने तक बदलाव होंगे। फिर बोर्ड में रखा जाएगा। कमेटी आपत्तियों पर सुनवाई करेगी। फिर मास्टर प्लान तैयार करके कैबिनेट तक ले जाया जाएगा। बैठक में मौजूद केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि सुझावों को मुझे भी दिया जाए। केंद्र सरकार तक विकास के प्रोजेक्ट पहुंचाए जाएंगे। बैठक में नगर आयुक्त अभिषेक आनंद, सीडीओ चंद्रमोहन गर्ग, डा. विनोद पागरानी, गुलशन आनंद, व्यापारी नेता पवन अरोड़ा आदि लोग मौजूद रहे।

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