गुरु- शुक्र अस्त, तीन माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

इस बार खरमास समाप्ति के बाद भी अगले तीन माह तक शहनाई नहीं गूंजेगी। विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लगा रहेगा। बीते 14 दिसंबर से चल रहा खरमास 14 जनवरी को समाप्त हो गया। मकर संक्रांति बाद आमतौर पर मांगलिक कार्य शुरू हो जाते थे

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 06:15 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 06:55 AM (IST)
गुरु- शुक्र अस्त, तीन माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य
गुरु व शुक्र ग्रहों के अस्त होने के कारण इसके लिए तीन माह तक इंतजार करना पड़ेगा।

बरेली, जेएनएन। इस बार खरमास समाप्ति के बाद भी अगले तीन माह तक शहनाई नहीं गूंजेगी। विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लगा रहेगा। बीते 14 दिसंबर से चल रहा खरमास 14 जनवरी को समाप्त हो गया। मकर संक्रांति बाद आमतौर पर मांगलिक कार्य शुरू हो जाते थे, लेकिन इस बार गुरु व शुक्र ग्रहों के अस्त होने के कारण इसके लिए तीन माह तक इंतजार करना पड़ेगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक गुरु-शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। शुक्र ग्रह भोग-विलास और भाग्य का कारक है, जो दांपत्य सुख का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं गुरु ग्रह कन्या के लिए आध्यात्मिक सकारात्मक ऊर्जा का कारक माना गया है। गुरु के अस्त होने पर वैदिक मंत्रों का प्रभाव कम हो जाता है। चूंकि विवाह वैदिक मंत्रों के द्वारा ही कराया जाता है, इसलिए विवाह आदि मांगलिक कार्यों में गुरु-शुक्र का उदय होना आवश्यक है। इन दोनों ग्रहों का अस्त होना दांपत्य के लिए हानिकारक माना गया है। इसलिए इन ग्रहों के अस्त होने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।

17 जनवरी को अस्त हो चुके हैं गुरु

 गुरु 17 जनवरी को अस्त हो चुके हैं जो 12 फरवरी को उदय होंगे। इसके तुरंत बाद 16 फरवरी को शुक्र अस्त हो जाएंगे। वह 17 अप्रैल तक अस्त रहेंगे। इस दौरान 15 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास भी रहेगा। विवाह का पहला मुहूर्त इस साल 24 अप्रैल को है।

क्या करें, क्या न करें

गुरु-शुक्र अस्त होने पर गृह प्रवेश, मुंडन, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ, यज्ञोपवीत, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। भूमि, वाहन व आभूषण आदि क्रय किए जा सकते हैं। नामकरण, पूजा-पाठ, हवन, कथा वाचन आदि कार्य भी किए जा सकते हैं।

ऐसे होते हैं ग्रह अस्त

जब कोई ग्रह कुछ विशेष अंश के साथ सूर्य के निकट आ जाता है तो उसकी चमक सूर्य के प्रकाश के सामने धीमी पड़ जाती है। इस कारण वह ग्रह आकाश में ²ष्टिगोचर नहीं होता। इसे उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है।

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