Freedom From Waste: 16 साल से उद्योग के कचरे से खाद बनाकर ला रहे है हरियाली
कहते है कारोबारी सिर्फ मुनाफे की सोचते हैं। परसाखेड़ा के उद्यमी डॉ. राकेश चंद श्रीवास्तव इसके अपवाद हैं।
बरेली, जेएनएन । कहते है कारोबारी सिर्फ मुनाफे की सोचते हैं। परसाखेड़ा के उद्यमी डॉ. राकेश चंद श्रीवास्तव इसके अपवाद हैं। कुत्तों और मछली के आहार बनाने की फैक्ट्री के कचरे से वह 16 सालों से जैविक खाद तैयार करके लोगों को मुफ्त मुहैया करवा रहे हैं। शौकिया शुरू हुए इस सिलसिले को उन्होंने बादस्तूर जारी रखा हुआ है। वह कहते है कि पहले फैक्ट्री से निकले कचरे की रोकथाम एक मुद्दा थी। लेकिन अब यही कचरा कई बगिया में हरियाली लाने का जरिया बन चुका है।
लाजपतनगर में रहने वाले डाॅ. राकेश चंद श्रीवास्तव बताते है कि 2004 में परसाखेड़ा में कुत्तों और मछलियों का आहार बनाने की फैक्ट्री लगाई थी। मुख्य उत्पाद तैयार करने के लिए कई प्रक्रिया से कच्चे माल गुजरता है। इस प्रक्रिया में काफी वेस्ट निकलता था। पहले औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले कचरे को लेकर दिक्कत होती थी। निस्तारण मुश्किल हो जाता था। उन्होंने निश्चय किया कि इसी कचरा से वह खाद बनाएंगे। उनकी फैक्ट्री से 30 दिन में करीब 200 किलो कचरा निकल रहा है।
बड़े पिट में करते है कचरा इकट्ठा, 45 दिन छोड़ देते है
उन्होंने खाली जमीन में तीन बड़े पिट बनवाए। पूरा कचरा इन्हीं पिटों में इकट्ठा किया जाता है। फिर उसको झाड़ और पत्तों से ढककर 30 से 45 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। प्राकृतिक तौर तरीके से उनकी तैयार हुई खाद के लिए अब दूसरे उद्यमी मांग करने लगे हैं। उन्होंने इसी खाद की मदद से बड़ा बगीचा भी तैयार किया है।
उद्योग बंधु की बैठक में उठा चुके हैं मुद्दा
वह उद्योग बंधु की होने वाली बैठक में अक्सर यह सुझाव देते हैं कि अगर सभी उद्यमी ऐसे ही प्राकृतिक तरीके से खाद बनाने लगे तो उन्हें भी बड़ी परेशानी से निजात मिल सकेगी। वह बताते है कि कुछ उद्यमियों ने उनसे संपर्क किया है कि वह कचरा का निस्तारण करने के लिए क्या कर सकते हैं।