पीलीभीत में चारों चीनी मिलों पर किसानों का बकाया है लगभग चार सौ करोड़

गन्ना को नकदी फसल माना गया लेकिन फिर भी उसकी बिक्री उधारी पर होती है। इसमें भी किसानों को कोई खास चिंता नहीं लेकिन जब उधारी लंबी खिच जाए तो मुश्किलें बढ़ जाती है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 11:30 PM (IST)
पीलीभीत में चारों चीनी मिलों पर किसानों का बकाया है लगभग चार सौ करोड़
पीलीभीत में चारों चीनी मिलों पर किसानों का बकाया है लगभग चार सौ करोड़

पीलीभीत, जेएनएन। गन्ना को नकदी फसल माना गया लेकिन फिर भी उसकी बिक्री उधारी पर होती है। इसमें भी किसानों को कोई खास चिंता नहीं लेकिन जब उधारी लंबी खिच जाए तो मुश्किलें बढ़ जाती है। गन्ना किसानों के साथ यही स्थिति है। आगामी पेराई सत्र की तैयारियों के बीच पिछले सत्र का गन्ना बिक्री का पूरा पैसा उन्हें अब तक नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को खेतों में तैयार हो रही गन्ने की नई फसल के साथ ही धान में लागत लगाने को पैसा जुटाना मुश्किल हो रहा है।

शासन की गन्ना नीति के अनुसार किसानों को अपना गन्ना आपूर्ति करने के 14 दिन के भीतर उसका मूल्य भुगतान मिल जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। पिछले कई साल से चीनी मिलों में पेराई सत्र समाप्त हो जाने के बाद भी किसानों का गन्ना मूल्य पूूरा नहीं दिया जाता। इस मामले में जिले की एलएच शुगर मिल को छोड़कर अन्य मिलों में लापरवाही होती रही है। चारों मिलों पर जिले के गन्ना किसानों के पिछले पेराई सत्र का करीब चार सौ करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है।

गन्ना विभाग के अधिकारी चीनी मिलों में आगामी पेराई सत्र की तैयारियां कराने में तो लगे हैं लेकिन किसानों का पुराना भुगतान दिलाने के प्रति अपेक्षित सक्रियता नहीं दिखा रहे। इससे किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। खेतों में तैयार हो रही गन्ने की नई फसल में लागत लगाने के लिए अनेक किसानों को तो कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है।

पिछले पेराई सत्र का 40 हजार रुपये गन्ना मूल्य अभी तक नहीं मिला है। खेती के साथ ही छोटी सी परचून की दुकान भी चलाते हैं। पैसा मिल जाता तो दुकान में सामान ले आते। जयंती प्रसाद, नरायनपुर

धान व गन्ने की फसल में लागत के लिए पैसा नहीं है। दूसरों से कर्ज लेकर काम चला रहे हैं। अपना पैसा चीनी मिल में फंसा हुआ है। करीब पचास हजार रुपये का गन्ना मूल्य बकाया है। रामतीर्थ, ग्राम टिकरी

चीनी मिलें किसानों को कभी भी समय पर गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं देतीं। सिर्फ कागजों में नियम है कि गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के भीतर किसान को उसका पैसा मिल जाना चाहिए। दलवीर सिंह, अमरिया

पिछले साल भी किसानों का गन्ना मूल्य चीनी मिलों ने रोक लिया था। इस बार फिर वही हालात बन गए हैं। शासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि किसान तंगी में हैं। हरदीप सिंह

सभी चीनी मिलों को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुुके हैं कि चीनी बिक्री से मिलने वाली धनराशि का 80 फीसद हिस्सा बकाया गन्ना मूल्य भुगतान पर व्यय किया जाए। जैसे जैसे चीनी बिकती जाएगी, किसानों का बकाया भुगतान चुकता होता रहेगा। जितेंद्र कुमार मिश्र, जिला गन्ना अधिकारी  

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