बैंकोंं की लापरवाही से अटकी उद्यमी बनने की उड़ान
स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने ओडीओपी योजना चलाई है। हालांकि बैंक इसमे पलीता लगा रहे हैं।
बरेली, जेएनएन। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने ओडीओपी योजना चलाई है। हालांकि बैंक इसमे पलीता लगा रहे हैं। जिला उद्योग केंदऱ जो आवेदन स्वीकृति देकर बैंकों को भेज रहा है। वह आवेदन बैंकों में ही खाक छान रहे है। सरकार ने जिले में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ओडीओपी ( एक जिला, एक उत्पाद) योजना चलाई है।
ओडीओपी के तहत जिले में जरी जरदोजी, बांस बेत फर्नीचर और आर्टीफिशियल ज्वैलरी का काम आता है। इसमें सरकार रियायत के साथ ऋण लेने पर 25 पऱितशत तक अनुदान भी देती है। जिला उद्योग केंदऱ इसके लिए किए गए आवेदनों को स्वीकृति करके बैंको को भेजता है। इस बार ओडीओपी योजनाओं के तहत जिला उद्योग केंदऱ ने छह करोड़ रुपये की सब्सिडी के आवेदन भेजे हैं। इन आवेदनों की संख्या करीब 363 है। हालांकि इनमें से अभी तक सिर्फ एक आवेदन को ही बैंक ने स्वीकृति किया है।
जबकि 18 आवेदन रिजेक्ट किये जा चुके है। वहीं बाकी आवेदन लंबित पड़े हैं। खास बात यह है कि जिन आवेदन को रिजेक्ट किया गया है। उनमें रिजेक्ट होने का सही कारण नहीं बताया गया है। इसकी वजह से जिन लाभार्थियों को ऋण लेना है। वह जिला उद्योग केंदऱ में चक्कर लगा रहे है। वही उद्यमी बनने की उनकी उड़ान सिर्फ फाइलों में ही कैद होकर रह गई है।
बैंको की तरफ से आवेदनों को स्वीकृति करने में तेजी नहीं दिखाई जा रही है। इसकी वजह से लोगों को ओडीओपी योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है। बैंक अधिकारियों से इसको लेकर शिकायत की जाएगी। ऋषिरंजन गोयल, उपायुक्त, जिला उद्योग केंदऱ